लखनऊ: दलित संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए भारत बंद के दौरान हिंसा पर बोलते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसकी कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि दलित और पिछड़े समाज के लोगों के बीच कुछ जातिवादी और असमाजिक तत्वों ने घुसकर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया है. मायावती ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि भारत बंद के दौरान हिंसा में कई लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.

उन्होंने कहा कि इन लोगों की आड़ में दलित और पिछड़े लोगों को निशाना न बनाया जाए. अगर ऐसा होता है तो बसपा चुप नहीं बैठेगी. बसपा सुप्रीमो ने पीएम मोदी पर पिछड़ा और दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनपर जो यह धब्बा लगा है. वह उनकी कथनी और करनी में फर्क का परिणाम है. बाबा साहेब के अथक प्रयासों से जो अधिकार पिछड़े और दलित वर्ग को मिले हैं, बीजेपी उन्हें छीनना चाहती है. सरकार की इन नीतियों के चलते दलितों और आदिवासियों में गुस्सा है.

दरअसल, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी. हालांकि, कोर्ट ने यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की इजाजत लेने के लिए उसकी वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा.