नई दिल्ली: तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के निधन के एक साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद एक अहम जानकारी सामने आई है. लंबे समय से जयललिता की करीबी रही वीके शशिकला ने हाल ही में यह कहा था कि जयललिता के अंतिम समय में वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी. हालांकि जिस अपोलो अस्पताल में जयललिता भर्ती थीं, उसके चेयरमैन डॉ. प्रताप रेड्डी का बयान शशिकला के दावों से मेल नहीं खाता. गौरतलब है कि 69 वर्षीय जयललिता का लगभग 75 दिनों तक चले इलाज के बाद 2016 के दिसंबर महीने में निधन हो गया था.

अपोलो अस्पताल के चेयरमैन प्रताप रेड्डी ने कहा कि जयललिता 75 दिनों तक भर्ती रहीं और उन पूरे दिनों में अस्पताल के सभी कैमरे बंद थे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अस्पताल के 24 बेड वाले इंटेनसिव केयर यूनिट (आईसीयू) को भी खाली करवा लिया गया था और उसमें जयललिता को अकेले ही रखा गया था.

अस्पताल के चेयरमैन प्रताप रेड्डी ने बताया कि जयललिता की मौत की जांच करने वाली ए. अरुमुगस्वामी आयोग के सामने अस्पताल ने सारे जरूरी दस्तावेज जमा करा दिए हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने जांच आयोग को CCTV फुटेज भी सौंप दिए गए हैं? उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, ICU तक किसी की भी पहुंच रोक दी गई. अन्य सभी मरीजों को दूसरे ICU में भेजा गया. इस ICU में वह अकेली थीं. ICU के 24 कमरों में से केवल एक का इस्तेमाल हुआ था. उन्होंने कैमरे हटवा दिए, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि हर कोई यह सब देखे.'

रेड्डी बताया कि किसी भी आगंतुक को उनसे मिलने की अनुमति नहीं थी. उन्होंने कहा, 'अस्पताल में हम एक साधारण नीति का पालन करते हैं. ICU में थोड़ी देर के लिए करीबियों के अलावा किसी को भी आने की अनुमति नहीं होती है. चूंकि वह गंभीर थीं, हमने अनुमति नहीं दी, लेकिन रिश्तेदारों के पास कुछ लोगों से पूछने का विकल्प जरूर था. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर इसकी इजाजत दे सकते थे.'