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होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में गुर्दे के लिए कई प्रभावशाली औषधियाँ उपलब्ध हैं

गुर्दे शरीर के अत्यधिक महत्वपूर्णअंग होते हैं। ये शरीर की छलनी होते हैं। जो रक्त में विषाक्त एवं अवांछित पदार्थों को छान कर मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालते हैं।इन्हें शरीर का केमिस्ट ( CHEMIST ) भी कहा जाता है।क्रोनिककिडनी डिसीज़ (CKD), या रीनलफेलियोर ( CRF) गुर्दे का एक ऐसा रोग है जिसमे शनैः शनैः गुर्दे की कार्यक्षमता कम होने लगती है। इसमें महीने से लेकर कई साल तक लग सकते हैं।इसका पता परोक्ष रूप से रक्त में सीरम क्रियेटिनाइन (S. Creat) की मात्रा से लगता है ,जब सीरम क्रियेटिनाइन (S. Creat) 1.5 mg/dl से ज्यादा हो जाता है तो दोनों गुर्दे 50% से अधिक ख़राब हो चुके होते हैं और गुर्दे आकार में सिकुड़ने लगते हैं।

सामान्यतः गुर्दे की संयुँक्त कार्यक्षमता में 70% से अधिक कमी आने पर ही अधिकांश रोगियों को इसके लक्षण महसूस हो पाते हैं। यह तीन प्रकार का हो सकता है–प्री-रीनल, रीनल और पोस्ट रीनल सी. आर. एफ़. ।

प्री-रीनल सी..आर.एफ़. :- मुख्यतः लीवर फैल्योर, हार्टफैल्योर हो जाने से हो सकता है।

रीनलसी.आर.एफ़. :- गुर्दे के भीतर आये अवांछित परिवर्तनों का परिणाम है।जैसे –डायबिटिकनेफ्रोस्किल्रोसिस, गुर्दे में सिस्ट( ADPKD), हाइपरटेंसिवनेफ्रोपैथी।

पोस्ट रीनलसी.आर.एफ़. :- सामान्य मूत्र प्रवाह में किसी भी प्रकार की बाधा आने से हो सकता है।जैसेप्रोस्टेट ग्रंथि में सूज़न या पथरी ।

लक्षण: जब रक्त में क्रियेटिनाइन का स्तर 1.5 से बढ़ना शुरू होता है तो भूख नालगना, उलटी आना , जी मिचलाना और कमजोरी जैसे हलके फुल्के लक्षण होते हैं। धीरे धीरे चेहरे और पैरों पर सूज़न आने लगती है, रक्तचाप बढ़ता है, एनीमिया, सांस फूलनातथा मूत्र की मात्रा में कमी आने लगती है।

निदान :- किसी ने सत्य ही कहा है की “ रोकथाम इलाज़ से बेहतर है “। मात्र सीरम क्रियेटिनाइन एवं पेशाब में प्रोटीन की जांच वर्ष में एक बार करवाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।

नैनोहोम्योपैथीइंस्टिट्यूटऑफ़रिसर्च एंड वेलफेयर, निराला नगर , लखनऊ में HIGH RISK GROUP ( वे लोग जिनके गुर्दे ख़राब होने की संभावना ज्यादा है ) की जाँच मुफ्त में होती है।

गुर्दे ख़राब हो जाने पर रक्त में सीरम यूरिया और क्रियेटिनाइन का स्तर, अल्ट्रासाउंडद्वारा गुर्दे का आकार , ग्लोमिरुलोफिल्ट्रेशन की दर, तथा गुर्दे की बायोप्सी से भी गुर्दे को हुई क्षति का पता चलाया जा सकता है। रक्त एवं पेशाब की जाँच नियमित करवानी होती है।

इलाज़ :- आधुनिक चिकित्सापद्धति में गुर्दे के क्षय को धीमा करने पर ही पूरी चिकित्सा केन्द्रित होती है।डायलिसिस एवं गुर्दे का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प है, ऐसी कोई दवा नहीं होती जिस से रक्त मेंक्रियेटिनाइन अथवा यूरिया की मात्रा को कम किया जा सके।

होम्योपैथिक चिकित्सा :- सामान्यतः गुर्दे को हुई क्षति की पूर्तिहोना असंभव है परन्तु होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में गुर्दे के लिए कई प्रभावशाली औषधियाँ उपलब्ध हैं। अन्य चिकित्सा पद्धतियों में रोगी को जो भी औषधि दी जाती है , उसमे कुछ न कुछ विषक्ता होती है। इस औषधि को गुर्दे को ही छानकर शरीर सेबाहर निकालना होता है परन्तु स्वयं गुर्दे के रोग-ग्रस्त होने पर यह उस पर एक अवांछित बोझ है।

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में गुर्दे के इलाज़ के लिए दी जाने वाली औषधियों में दवा की मात्रा अत्यधिक सूक्ष्म होती है, अतः गुर्दे को कोई क्षति नहीं पंहुचती।

Consitutionalहोम्योपैथिक औषधि (CHM) से शरीर में मौजूद एडल्ट स्टैम सेल (ASC) को सक्रिय किया जा सकता है। ये कोशिका शरीर के किसी भी क्षतिग्रस्त ऊतक का पुन्जर्नन और मरम्मत कर सकती है। होम्योपैथिक औषधि गुर्दे में पहले से मौजूद स्टेम सेल (STEM CELL) को सक्रिय करती है जो की नेफ्रोन या गुर्दा कोशिका को पुष्ट करता है। परिणाम स्वरुप गुर्दे की कार्यक्षमता में सुधार आता है।

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में कई प्रभावशाली औषधियाँ उपलब्ध हैं जो –

  1. गुर्दे की हो रही क्षति को स्थिर कर सकती है।
  2. गुर्दों की कार्यक्षमता बढ़ा सकती है।
  3. लंबे समय से डायलिसिस करवा रहे रोगी को भी पेशाब होना प्रारंभ हो जाता है अथवा पेशाब की मात्रा में वृद्धि होती है।
  4. डायलिसिस को पूर्णतः रोकने या कम करने के लिए भी होम्योपैथिक दवा कारगर है।
  5. गुर्दा प्रत्यारोपण (TRANSPLANT) को रोका जा सकता है या होम्योपैथिक दवा से उसको विलंब से भी करवाया जा सकता है।
  6. रोगी का जीवन स्तर निश्चित सुधर सकता है।

एपिस, ऐपोसायनम, फ़ोर्स्फोरस, आर्सेनिक, नैट्रमम्यूर और कई होम्योपैथिक औषधियाँ अत्यन्त लाभकारी हो सकती है। किसी होम्योपैथिक विशेषज्ञ से परामर्श लेने से एवं निर्देशानुसार खान-पान में परहेज़ करने से आशातीत परिणाम मिल सकता है। गुर्दा रोगी प्रत्यारोपण जैसी पीड़ादायक स्थिति से बच सकता है ।

डॉ. लुबना कमाल (एम. डी.)

मोबाइल: 9450630019

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