कासगंज, प्रतापगढ़, इलाहाबाद के हालात को लेकर राज्यपाल से मुलाकात

लखनऊ: जमीअत उलेमा उत्तर प्रदेश के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष जमीअत उलेमा उत्तरप्रदेश मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा साहब कासमी के नेतृत्व में कासगंज में 26 / जनवरी 2018, को तिरंगा यात्रा पर हमले की झूठी अफवाह फैला कर तिरंगा झंडा ही लहरा रहे मुसलमानों पर हमला करने, जबकि इस मामले में जिस व्यक्ति को गोली लगी उस पर किसने गोली चलाई कहाँ गोली चली उसे कैसे गोली लगी यह बात अभी तक साफ नहीं हो सका है इसके बावजूद निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को बिना सबूत के जेलों में बंद करने, प्रतापगढ़ में एक महिला को बेरहमी से मार दिया और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक निर्दोष छात्र की हत्या जैसी समस्याओं के साथ, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक से राज भवन लखनऊ में मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल का ध्यानाकार्षित करते हुए कहा गया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भीड़ ने हिंसा पर आधारित अत्याचार अल्पसंख्यकों को निशाना बना चुकी है । अफसोस तो यह है कि सरे आम कानून को अपने हाथों में लेने और खौफ और आतंक का माहौल पैदा करने वालों के खिलाफ त्वरित सख्त कार्रवाई न लिए जाने के कारण ऐसे बेलगाम असामाजिक तत्वों के हौसलों को बढ़ावा मिल रहा है। अभी हाल ही में हुए कासगंज दंगे का जिक्र करते हुए मौलाना उसामा, मौलाना हकीमुद्दीन कासमी व प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय पर भीड़ द्वारा अत्याचार किया गया और कई दुकानों और वाहनों को जला दिया गया, मस्जिदों में आग लगाई गई लेकिन असल दंगाइयों को कानूनी गिरफ्त में लेने के बजाय, मुस्लिम अल्पसंख्यक वर्ग को परेशान किया गया और गिरफ्तार किया गया, जिनका इस दंगे के साथ कोई लेना-देना नहीं था। प्रतिनिधिमंडल ने दलील देते हुए कहा कि कासगंज में जिस व्यक्ति को गोली का निशाना बनाया गया था, उसके मारने जगह और समय निर्धारित किए बिना इस हत्या को मुसलमानों के सिर जोड़ दिया गया और उनके साथ वह सब कुछ किया गया, मानो वही वास्तविक अपराधी हों। अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि इसी तरह प्रतापगढ़ में तीन लोगों ने मिलकर अकेली महिला राबिया बेगम को हवस का शिकार और निर्दयता व दरिंदगी दिखाते हुए उसकी हत्या भी कर दिया, लेकिन इस बहादुर महिला ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए मृत्यु तक लड़ी। इस घटना पर, सरकारी अधिकारियों के ढीले रवैया को बयान करते हुए बताया कि महिला को न कोई मुआवजा दिया गया और न ही उसकी मौत पर कोई बड़ा अधिकारी पहुंचा, जबकि केंद्र और राज्य सरकारें बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने और महिलाओं के अधिकारों और उन्हें सशक्त बनाने की बात करती है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल मौलाना शब्बीर अहमद मज़ाहिरी ने इस महिला की हत्या की दर्दनाक तस्वीर भी दिखाई, जिसे देखकर गवर्नर ने अत्यंत दुख व्यक्त किया।

प्रतिनिधिमंडल ने कासगंज के दंगों में मारे गए चंदन और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक निर्दोष छात्र दिलीप सरोज का हवाला देते हुए कहा कि जल्द से जल्द उनके असल हत्यारों को गिरफ्तार करके सज़ा दिलाई जाये .और महिला राबिया बेगम को उचित मुआवजा दिलवाकर न्याय की अपेक्षाओं को पूरा करें।

राज्यपाल श्री राम नाइक ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को ध्यान से सुना और आश्वासन देते हुए कहा कि हम अपने स्तर से आपकी बातों को मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे, उन्होंने कहा कि निर्दोषों को उनका हक दिलाने की पूरी कोशिश की जाएगी राज्यपाल महोदय ने कहा कि आप इन बातों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा। इस प्रतिनिधिमंडल में जमीअत उलेमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मतीनुल हक उसामा क़ासमी, मौलाना सैयद मुहम्मद मदनी महासचिव जमीअत उलेमा उत्तरप्रदेश, मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी सचिव जमीअत उलेमा हिंद , सैयद मुहम्मद वजीन लखनऊ, मौलाना शब्बीर अहमद मज़ाहिरी प्रतापगढ़, मौलाना कलीमुल्लाह क़ासमी अंबेडकर नगर, मौलाना अब्दुल मुईद क़ासमी फतेहपुर, मौलाना अहमद अब्दुल्ला कासमी लखीमपुर, क़ारी अब्दुल मुईद चैधरी कानपुर और जनाब शमीम जावेद कासगंज रहे।