नई दिल्ली: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हैदराबाद-कर्नाटक के क्षेत्र में दौरे पर हैं, इस दौरान उन्हें किसानों के मुश्किल और असुविधाजनक सवालों का सामना करना पड़ रहा है। द हिन्दू की खबर के मुताबिक अमित शाह किसानों के सवालों के उचित उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। रविवार (25 फरवरी) को हुमनाबाद में अमित शाह किसानों से मिले। करीब एक हजार किसान अपने सवाल लेकर उनके पास आए, लेकिन पांच किसानों को ही उनसे सवाल पूछने की अनुमति दी गई। किसानों के नेता ने अमित शाह से किसानों की समस्याओं और उनके निपटारे के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार के द्वारा किए जाने वाले उपायों को लेकर सवाल किए। किसान नेता सिद्धारमप्पा अनाडोर ने पूछा- ”आपके पास कारोबारियों का 17,15,000 करोड़ रुपये का ऋण माफ करने के लिए धन है, लेकिन 12,60,000 करोड़ रुपये का कृषि ऋण माफ करने के लिए पैसे नहीं हैं। आपको जरूर पता होना चाहिए कि यह कारोबारियों नहीं, बल्कि किसानों का समुदाय ही था जिसने आपको सत्ता में लाने के लिए वोट दिए थे।”

अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि केंद्र ने किसी कारोबारी ऋण को माफ नहीं किया। उन्होंने कहा- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कहते रहे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने कारीबारी ऋण माफ किए। हमने कोई कारोबारी ऋण माफ नहीं किया है, लेकिन कारोबारियों की मदद के लिए टैक्स दर घटाई है।” हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि बैंकों से लिए गए किसानों के ऋण को माफ करेगी या नहीं। जब किसान नेता ने पूछा कि बीजेपी ने जब स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने के लिए कहा था तो फिर यूटर्न क्यों ले लिया?

इस पर अमित शाह ने कहा कि हाल में केंद्र के बजट में प्रत्येक फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में उत्पादन की लागत के ढाई गुना की घोषणा के साथ पैनल की मुख्य सिफारिश व्यावहारिक तौर पर स्वीकार कर ली गई थी। दाल पर आयात शुल्क की मांग और लाल चने की खरीद पर केंद्र की कैपिंग के सवाल पर अमित शाह ठीक से जवाब नहीं दे सके।