एमिटी में भाषाई कौशलः सभी रोजगारों की जननी विषय पर अंतर्राष्ट्रिीय सम्मेलन का आयोजन का आयोजन

लखनऊ: रोजगार से संबंधित कौशल और व्यक्तित्व विकास रोजगार के लिए महत्वपूर्ण हैं परन्तु आज के दौर में भाषागत कुशलता और संवाद करने में प्रवीणता आवश्यक तत्व बन चुके हैं। भाषागत कुशलता न केवल रोजगार पाने में सहायक है बल्कि अपने विचारों को संप्रेषित करने के लिए भी जरूरी है।

ये विचार उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्य सचिव आईएएस आलोक रंजन ने एमिटी विश्वविद्यालय में ’भाषाई कौशलः सभी रोजगारों की जननी’ विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। सम्मेलन का आयोजन एमिटी स्कूल आॅफ लैंग्वेजेज और लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि, भाषा ज्ञान जीवन में आगे बढ़ने में हमेशा मदद करता है। श्री रंजन ने कहा कि भाषागत कुशलता हासिल करने के लिए खूब पढ़ना के साथ ही व्यवहारिक जीवन में उस भाषा का अभ्यास भी जरूरी है। उन्होने कहा कि मात्रभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी और एक विदेशी भाषा का ज्ञान रोजगार के अवसरों को अत्याधिक बढ़ा देता है। एमिटी विश्वविद्यालय को सम्मेलन के आयोजन पर बधाई देते हुए उन्होने कहा कि इस तरह के आयोजनों से निश्चय ही छात्र लाभन्वित होगें।

इसके पूर्व श्री रंजन ने दीप प्रज्जवलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया। इस दौरान सम्मेलन के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध लेखक विवेक पंडित, लखनऊ विवि की प्रो. रेनू उनियाल, फ्रेंच एम्बिसी, नई दिल्ली के ओलिवर लिटवेन और लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट एके माथुर भी उपस्थित रहें।

निदेशिका एमिटी स्कूल आॅफ लैंग्वेजेज, प्रो. कुमकुम रे ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें विषय से परिचित कराया। उन्होने कहा कि, भाषा का ज्ञान रोजगार हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है। उन्होंने भाषागत कौशल को सभी रोजगारों की जननी बताया।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता विवेक पंडित ने कहा कि, आज संवाद और संवाद के माध्यम महत्वपूर्ण हो गए है जबकि भाषा की समझ और गहराई गौड़। भाषा पर पकड़ न केवल रोजगार दिलाने में मददगार है बल्कि समाज में अलग पहचान बनाने के लिए भी सहायक है।

फ्रेंच एम्बिसी, नई दिल्ली के ओलिवर लिटवेन ने कहा कि, ज्यादा भाषाओं का ज्ञान मतलब रोजगार पाने के लिए ज्यादा मौके। उन्होने बताया कि, फ्रेंच भाषा दुनिया में अंग्रेजी के बाद सबसे ज्यादा सीखी जाने वाली भाषा है। उन्होनें कहा कि एक भाषा को सीखना आपकी ग्राह्य क्षमता को प्रदर्शित करता है।

श्रेनू उनियाल ने भाषा की अच्ठी पकड़ की वकालत करते हुए कहा कि जितना शब्दों का ज्ञान आवश्क है उतना ही मौन के संकेतों को समझना भी।

लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन के वाइस प्रेसीडेंट एके माथुर ने अंग्रजी भाषा के ज्ञान पर जोर देते हुए कहा कि, भारत में आने वाले समय में ऐसे कुशल कामगारों की आवश्यकता होगी जो कि विश्वस्तर पर संवाद करने की क्षमता रखते हों। इस दिशा में अंग्रेजीभाषा का ज्ञान महत्वपूर्ण साबित होगा।