इमामबाड़ा सिबतैनाबाद में दो दिवसीय मजलिस का आयोजन ,बड़ी संख्या में अजादारो ने भाग लिया
लखनऊ : रसूले खुदा स.अ. की पुत्री हजरत फातिमा जहरा स.अ. की शहादत की याद में दफ्तरे रहबरी नई दिल्ली की तरफ से इमामबाड़ा सिबतैनाबाद हजरतगंज में दो दिवसीय मजलिसों की पहली मजलिस को मौलाना सय्यद हमीदुल हसन ने सम्बोधित किया। इस्लाम में तहारत और पाकीजगी का तसव्वुर के उनवान पर मौलाना ने सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया का हर धर्म इंसान को पाकीजगी और साफ सफाई का हुक्म देता है और इस्लाम उन सभी धर्मांे का प्रतिनिध्व करता है । मौलाना ने कहा कि कुरान में पाकीजगी का तसव्वुर बुहत अलग है जिसे समझने की जरूरत है।

मौलाना ने कहा कि इस्लाम चाहता है कि इंसान पाक और साफ नजर आये मगर इस्लाम उस पाकीजगी को स्वीकार नही करता है जो केवल इंसान के जिस्म को साफ रखे, बल्कि इस्लाम जिस्म की पाकीजगी के साथ साथ रूह की पाकीजगी पर जोर देता है। इस्लाम चाहता है कि जिस तरह इंसान अपने शरीर और कपड़ो को साफ सुथरा रखता है उससे कहीं ज्यादा अपनी आत्मा और अंतरात्मा को साफ सुथरा रखे ।मौलाना ने आपने सम्बोधन में हजरत फातिमा जहरा स.अ की सीरत के विशेष और अछूते पहलुओं की और भी इशारा किया ।

मौलाना ने मजलिस के आखिर में कहा कि जो लोग मरजाईयत और रहबरियत के खिलाफ प्रोपेगण्डा करते है उनकी हम निंदा करते हैं। मौलाना ने कहा जो लोग खुद को बड़ा मौलाई और मलंगी कहते है (यकीनन वो हैं) और कर्बला , दमिश्क और पवित्र धार्मिक स्थल की जियरतों के लिए जाते हैं मगर जब दाइश ने दमिश्क और दूसरे पवित्र स्थल को निशाना बनाने की कोशिश की उस वक्त ऐसे लोग कहीं नजर नही आते है । अगर वो दाइश के मुकाबले के लिए नही जा सकते थे तो उन्होंने उन जवानों की किया मदद की जो दाइश का मुकाबला कर रहे थे ।लाखों जवान दाइश से मुकाबला करते हुए पवित्र धार्मिक स्थलों की हिफाजत में शहीद हुए क्योंकि मरजाअ ए वक्त का हुक्म था कि इस्लाम दुश्मन ताकत दाइश से मुकाबला किया जाए । इस एक हुक्म की बुनियाद पर मरजईयत की ताकत को समझा जा सकता है । आखिर में मौलाना ने जनाबे फातिमा जहरा स.अ की शहादत बयान की जिसे सुन कर अजादारो ने खूब आॅसू बहाये ।