लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज महाराजा अग्रसेन धर्म जागरण समिति द्वारा श्री खाटू श्याम मंदिर में आयोजित गीता ज्ञान यज्ञ का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती जी महाराज, महाराजा अग्रसेन जागरण समिति के अध्यक्ष श्री शिव कुमार अग्रवाल, संयोजक श्री आर0डी0 अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर स्वामी अभयानन्द सरस्वती के प्रवचनों के संकलन ‘नारद भक्ति सूत्र’ का विमोचन भी किया

राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि वे गीता के मर्मज्ञ नहीं हैं इसलिये स्वयं को गीता पर बोलने का अधिकृत नहीं मानते। गीता का ज्ञान असीम है, व एक ऐसी रचना है जिसे साक्षात् बह्म की वाणी कहा गया है। गीता सम्पूर्ण मानव जाति के लिये दिव्य संदेश है, क्योंकि इसमें भारतीय दर्शन और तत्व-चिन्तन की आत्मा प्रतिबिम्बित होती है। उन्होंने कहा कि गीता एक अलौकिक गं्रथ है।

श्री नाईक ने कहा कि गीता कर्मयोग का ज्ञान देती है। गीता केवल विद्धानों के लिये नहीं बल्कि आम इंसानों के लिये भी है। भगवद्गीता ऐसा ग्रंथ है जो हमें साधन और साध्य में सामंजस्य स्थापित कर जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य को प्राप्त करने का ज्ञान देता है। उन्होंने कहा कि गीता में सागर के ऐसे मोती छिपे है जो जीतना गहरा जायेगा उतना ही ज्ञान की प्राप्ति होगी।

राज्यपाल ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा रंगून में रचित ‘गीता रहस्य’ की पृष्ठभूमि बताते हुये कहा कि अंग्रेजों ने उनको भारतीय असंतोष का जनक बताते हुये मण्डाला की जेल में निरूद्ध कर दिया था। राज्यपाल ने गीता के दूसरे अध्याय के चैथे श्लोक को उद्धृत करते हुये कहा कि अपकीर्ति से मृत्य बेहतर है। उन्होंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुये उसका मर्म समझाया कि निरंतर चलते रहने से ही सफलता प्राप्त होती है।

इस अवसर पर श्री मनोज अग्रवाल ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानन्द सरस्वती जी महाराज ने राज्यपाल को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह व पुस्तक देकर उनका सत्कार किया। राज्यपाल ने खाटू श्याम मंदिर के दर्शन भी किये।