नई दिल्ली: देश में मिलने वाली प्रत्येक सुविधाओं को लेकर आधार कार्ड को अनिवार्य किया जा रहा है लेकिन क्या यह आधार कार्ड किसी की जिंदगी से ज्यादा बढ़कर है। हरियाणा के सबसे पॉश कही जाने वाली सिटी गुड़गांव के अस्पताल ने प्रसव पीड़ा के दौरान एक गर्भवती महिला को केवल इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था, जिसके कारण महिला को मजबूरी में अस्पताल के सामने ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। यह मामला गुड़गांव सिविल अस्पताल का है। महिला के परिजनों के अनुसार, पीड़िता मुन्नी को सुबह 9 बजे के करीब प्रसव पीड़ा हुई थी, जिसके बाद उन्होंने एम्बुलेंस को बुलाया।

परिजन तीस मिनट में पीड़िता को लेकर अस्पताल पहुंच गए और जैसे ही वे अस्पताल में घुसने लगे तो अधिकारियों ने उनसे आधार कार्ड मांगा। मुन्नी के पति बबलू ने कहा “हमारे पास अभी केवल आधार नंबर है और हम जल्द ही आधार कार्ड लाकर जमा करा देंगे। हमने उनसे कहा कि मेरी पत्नी को भर्ती कर लें ताकि उसका इलाज शुरू किया जा सके। मैंने उन्हें अपना आधार कार्ड दिखाया और उनसे विन्नती की कि वे जितनी जल्दी हो सके मेरी पत्नी को भर्ती कर लें क्योंकि उसे बहुत दर्द हो रहा था।” अस्पताल के अधिकारियों ने उसकी विनती ठुकरा दी और महिला का आधार कार्ड लाने को कहा।