नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद जमीन मालिकाना विवाद मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई आज से शुरू की लेकिन पहले ही दिन इस मामले की सुनवाई टाल दी और 14 मार्च कर दी. यह सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही थी क्योंकि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो.

इस पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा था.

वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए.

शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट ऑन रिकार्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए.