वायु प्रदूषण पर आयोजित परिचर्चा में क्षेत्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना की उठी मांग

लखनऊ: पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस इंडिया, क्लाइमेट एजेंडा, गो ग्रीन और अन्य सिविल सोसाइटी संगठनों ने आज लखनऊ में एक साथ मिलकर वायु प्रदूषण पर एक परिचर्चा का आयोजन किया। इस परिचर्चा में पर्यावरण विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, डॉक्टर, युवा और महिलाओं समेत समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये एक क्षेत्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना की जरुरत पर बल दिया।

इसी हफ्ते सोमवार को ग्रीनपीस इंडिया द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट ‘एयरपोक्लिपस II’ के दूसरे संस्करण में उत्तर प्रदेश के वायु प्रदूषण पर डरावने तथ्य सामने आये हैं। इस रिपोर्ट में 280 शहरों के वर्ष 2015 और 2016 के साल भर का औसत पीएम 10 को दर्ज किया गया है। इस आधार पर देश के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 शहर उत्तर प्रदेश के हैं।

परिचर्चा में भाग लेने वाले ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, “उत्तर प्रदेश की हालत सबसे चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश के 53 जिलों में आज भी वायु गुणवत्ता को नापने के लिये कोई यंत्र नहीं लगाया जा सका है। बाकी 22 शहर जहां का डाटा उपलब्ध है, उनमें से एक भी शहर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरते।”

परिचर्चा में भाग लेने वाली प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने वायु प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे को कैसे लोगों के साथ जोड़कर इसे एक आंदोलन का रुप दिया जाये इसपर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा, “ हमें स्कूल, कॉलेज और मोहल्लों में जाकर लोगों को बताना होगा। यह समझना होगा कि पर्यावरण बचेगा तभी हम सामाजिक न्याय के साथ विकास कर पाएंगे।”

चर्चा में शामिल ह्रदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर केपी मल्ल ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार के साथ साथ गैर सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रयास करने होंगे।

कार्यक्रम में पत्रकारिता व जनसंचार विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष मुकुल श्रीवास्तव ने अपने अनुभव सुनाते हुए कहा, “आज विकास के वर्तमान मॉडल पर फिर से विचार करने की जरूरत है। राष्ट्रभक्त होने का मतलब है देश की हवा और पर्यावरण को बचाना । देश को बचाने के लिये पर्यावरण को बचाना जरूरी है।”

परिचर्चा में शामिल लोगों ने यह माना कि वायु प्रदूषण आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट बन चुका है और उत्तर प्रदेश में यह समस्या दिल्ली जितनी ही या उससे भी काफी गंभीर हो चुकी है। इससे निपटने के लिये समाज के सभी वर्गों एवं सरकारी तंत्र को एकजुट होकर व्यापक , व्यवस्थित, समयबद्ध क्षेत्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना की मांग करनी होगी।