नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में लगी मोदी सरकार को गठबंधन में शामिल आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) से झटका लग सकता है। गुरुवार (1 फरवरी) को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में सरकार का पूर्णकालिक बजट पेश किया, जिसके बाद टीडीपी की तरफ से भारी निराशा जताई गई थी। अब एक बार फिर शुक्रवार (2 फरवरी) को टीडीपी ने बजट के विरोध में सरकार से गठबंधन तोड़ने के संकेत दिए है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने अपने सांसदों को फोन कर निर्देश दिया था कि वे संसद में केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं ताकि आंध्र प्रदेश के साथ अन्याय न हो सके। टीडीपी के सांसद टीजी वेंकटेश ने मीडिया को बताया- ”अब एलान-ए-जंग होगा। हमारे पास तीन विकल्प हैं- पहला कि इसी तरह चलने दें और अपनी मांगें मनवाने के लिए प्रयास करते रहें, दूसरा यह कि हमारे सांसद इस्तीफा दें और तीसरा कि हम गठबंधन तोड़ दें। हम रविवार (4 फरवरी) को मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर इस पर फैसला लेंगे।”

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बजट के बारे में बात करते हुए कहा कि वह केंद्र सरकार से बहुत नाखुश हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की विभिन्न परियोजनाओं, संस्थानों और आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के निर्माण के लिए किसी तरह की पूंजी की घोषणा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि पोलावरम परियोजना और नेल्लोर जिले का डुग्गीराजुपटनम हवाई अड्डा इस बजट में नजर अंदाज किया गया। आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के एवज में कोई पूंजी जारी नहीं की गई, जबकि केंद्र सरकार ने राज्य के लिए विशेष वित्तीय पैकेज की घोषणा की थी।

चंद्र बाबू नायडू ने पिछले हफ्ते संकेत दिए थे कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म कर सकते हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए चंद्र बाबू नायडू ने कहा था कि अगर बीजेपी गठबंधन को जारी नहीं रखना चाहती है तो तेलुगू देशम पार्टी अपने बूते पर चलेगी। गुरुवार को तेलुगू देशम पार्टी के नेता और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री वाईएस चौधरी ने कहा था- ”सरकार के बजट में आंध्रप्रदेश के लिए कुछ भी नहीं है।” अगर टीडीपी केंद्र सरकार से गठबंधन तोड़ती है तो दक्षिण भारत में बीजेपी को वोट बैंक खड़ा करने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।