नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में एजुकेशन सेक्टर को लेकर कई ऐलान किए हैं. वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा कि 2022 तक एजुकेशन सिस्टम को सुधारने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगे. साथ ही, सरकार कई नई स्कीम्स भी लॉन्च करने तैयारी में है. जनजातीय इलाकों में खुलेंगे एकलव्य स्कूल, जो नवोदय विद्यालय की तरह होंगे. माना जा रहा है इससे जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा

अगले 4 साल में स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्टर पर 1 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे| अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए बनेंगे एकलव्य स्कूल| प्री-नर्सरी से 12वीं तक के एजुकेशन सिस्टम में होगा सुधार| प्लानिंग एंड आर्किटेक्ट के लिए खोले जाएंगे 2 नए स्कूल| बीटेक छात्रों के लिए पीएम रिसर्च फेलो प्लान लॉन्च, हर साल 1000 छात्रों को मिलेगा फायदा

पिछले साल के बजट में भी नरेंद्र मोदी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र पर किया जाने वाला खर्च बढ़ाया था और कुल बजट का 9.9 फीसदी हिस्सा इस सेक्टर के लिए तय किया. इसके बावजूद इस सेक्टर की तस्वीर कुछ अच्छी नहीं है. पिछले दशक में इस सेक्टर को आवंटित हुई राशि कुल खर्च की 3.5-4 फीसदी के आसपास रही है. पिछले साल यह आंकड़ा 3.7 फीसदी था.

हाल में जारी ऐनुअल सर्वे ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) 2017 के आंकड़े कुछ उम्मीद बंधाते हैं. इसके मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 14-18 साल के एज ग्रुप के बच्चों का आठवीं क्लास में नामांकन एक दशक में दोगुना हो गया है. 2004-05 में ये संख्या जहां 1.1 करोड़ थी, वहीं 2014-15 में 2.2 करोड़ हो गई. इस एज ग्रुप के बच्चों के आंकड़ों में एक बात और बेहतर दिखी. लड़के-लड़कियों के अनुपात में कोई खास फर्क नहीं दिखा. इस एज ग्रुप की जहां 94 फीसदी लड़कियों का नामांकन हुआ वहीं लड़कों में यह मामला 95 फीसदी रहा.

नामांकन बेहतर होने का असर स्किल्स बेहतर होने के रूप में नजर नहीं आ रहा है. ASER के मुताबिक 14-18 साल के एज ग्रुप के स्टूडेंट्स कई साल की स्कूली पढ़ाई के बावजूद बेसिक स्किल्स में कमजोर नजर आ रहे हैं. आठवीं में पढ़ने वाले 27 फीसदी स्टूडेंट्स दूसरी क्लास के स्तर की किताबें पढ़ने में भी सक्षम नहीं पाए गए. 14-18 साल एज ग्रुप के 42 फीसदी स्टूडेंट्स अंग्रेजी के सामान्य वाक्य भी पढ़ने में सक्षम नहीं थे.