मुंबई-दिल्ली वायुमार्ग पर प्रतिदिन 130 उड़ाने होती हैं। यूके स्थित वायु यात्रा आसूचना कंपनी ओएजी एवियेशन वल्र्डवाइड लिमिटेड ने हाल ही में इस मार्ग को विश्व का तीसरा सबसे व्यस्त मार्ग बताया। हालांकि लंबाई और चैड़ाई के लिहाज से व्यापक तौर पर फैले भारत की जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा छोटे शहरों और कस्बों में रहता है- मुंबई या दिल्ली में नहीं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुंबई-दिल्ली अत्यंत लोकप्रिय वायुयात्रा मार्ग है। हालांकि भारत की राष्ट्रीय राजधानी और आर्थिक राजधानी में कार्यरत छोटे विमान तलों या पास के शहरों से अपर्याप्त उड़ानों के कारण दबाव बढ़ जाता है। यह दबाव इन दो महानगरों के बीच मार्ग पर परिवहन की क्षमता और टिकट के मूल्य के संदर्भ में होता है।
यह जानकर सभी को आश्चर्य होगा कि अधिकांश दिनों में मुंबई से लेह की यात्रा दुबई और कुआला लंपुर जैसे अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों से अधिक खर्चीली होती है। इसके मुख्य कारणों में से एक है भारत के छोटे शहरों में अपर्याप्त वायुयात्रा संपर्क, और मुंबई और दिल्ली जैसे केन्द्रों से होकर यात्रा करने से खर्च बढ़ जाता है। उदाहरण के लिये मुंबई और लेह के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं है, इसलिये अधिकांश यात्री दिल्ली से होकर यात्रा करते हैं और खर्च बढ़ जाता है।

सरकार द्वारा अपै्रल से सितंबर की अवधि में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये वीजा शुल्क में कटौती जैसे नवोन्मेषी कदमों की खबर हाल ही में आई थी। हालांकि छोटे शहरों में अपर्याप्त वायुयात्रा संपर्क और अधिक खर्च को न्यायसंगत कैसे ठहराया जा सकता है, जो कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों के वीजा शुल्क से कहीं अधिक है।

इस स्थिति में सुधार के लिये एयरलाइन्स द्वारा छोटे शहरों में वायुयात्रा संपर्क को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। सरकार एयरलाइन्स को इन्सेन्टिव और नीतिगत सहयोग दे सकती है, ताकि वह छोटे शहरों तक संपर्क बढ़ाएं।

छोेटे शहरों में वायुयात्रा संपर्क के लिये जेट एयरवेज ने हाल ही में मुंबई-बागडोगरा और मुंबई-मदुरै जैसे क्षेत्रों में नई दैनिक सीधी उड़ाने प्रस्तुत की थी। इन उड़ानों द्वारा जेट एयरवेज ऐसी पहली एयरलाइन बन गई, जो देश की आर्थिक राजधानी को नाॅन-स्टाॅप उड़ान के द्वारा इन शहरों से जोड़ती है।

सरकार का एक सकारात्मक कदम था उड़ान (उड़ें देश के आम नागरिक)। यह क्षेत्रीय संपर्क की योजना है, जिसका लक्ष्य एयरलाइन्स को कम सेवा वाले विमानतलों में उड़ान के लिये प्रोत्साहित कर वायु यातायात को लाखों भारतीयों की पहुँच में लाना है। इस योजना के अनुसार भागीदार एयरलाइन्स की कुल सीटों का एक हिस्सा 2500 रू. प्रतिघंटा से अधिक दर से नहीं दिया जाएगा और उन्हें एक पूर्वनिर्धारित फाॅर्मूले के तहत सरकार से अनुदान भी मिलेगा। इस योजना को बड़ी सफलता मिली और लगभग 128 वायुमार्ग पाँच एयरलाइन्स के बीच आवंटित किये जा चुके हैं।