पहली पारी में 187 रन पर ढेर

जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीकी तेज आक्रमण के सामने भारतीय बल्लेबाज़ फिर से बगलें झांकते हुए नजर आये और तीसरे और अंतिम टेस्ट क्रिकेट मैच के पहले दिन ही बुधवार को जोहानिसबर्ग में पूरी टीम 187 रन पर ढेर हो गयी. इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने पहले दिन का खेल समाप्त होने तक एक विकेट पर छह रन बनाये हैं.

कप्तान विराट कोहली (54) और चेतेश्वर पुजारा (50) ने विपरीत अंदाज में अर्धशतक जमाये. इन दोनों के अलावा इस मैच में वापसी करने वाले भुवनेश्वर कुमार (30) ही दोहरे अंक में पहुंचे. इन तीनों ने मिलकर 134 रन बनाये जबकि बाकी आठ बल्लेबाज़ 27 रन का योगदान ही दे सके. चौथा बड़ा स्कोर अतिरिक्त रन (26) का रहा.

शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ों में लोकेश राहुल (शून्य) और मुरली विजय (आठ) फिर से भारत को अच्छी शुरूआत देने में नाकाम रहे जबकि सीरीज़ में पहली बार खेल रहे अंजिक्य रहाणे (नौ) जीवनदान का फायदा नहीं उठा पाये.

अपने बल्लेबाज़ी कौशल के कारण चुने गये विकेटकीपर पार्थिव पटेल (दो) और आलराउंडर हार्दिक पंड्या (शून्य) ने फिर से निराश किया. भारत अगर 200 रन के करीब पहुंच पाया तो इसका श्रेय भुवनेश्वर को जाता है जिन्होंने केपटाउन में पहले टेस्ट में भी अपनी बल्लेबाज़ी से प्रभावित किया था.

कैगिसो रबाडा (39 रन देकर तीन विकेट) दक्षिण अफ्रीका के सबसे सफल गेंदबाज रहे. वर्नोन फिलैंडर, मोर्ने मोर्कल और एंडिल फेलुकवायो ने दो-दो जबकि लुंगी एंगिडी ने एक विकेट लिया.

भुवनेश्वर (तीन रन पर एक विकेट) ने गेंदबाजी में कमाल दिखाया तथा अपने दूसरे ओवर में ही एडेन मार्कराम को विकेट के पीछे कैच कराकर भारत को शुरूआती सफलता दिलायी. पवेलियन लौटने से पहले डीन एल्गर चार रन पर खेल रहे थे जबकि नाइटवाचमैन रबाडा को अभी अपना खाता खोलना है.

पिच में काफी घास है और यह तेज गेंदबाजों के अनुकूल है. ऐसे में कोहली का पहले बल्लेबाज़ी का फैसला चौंकाने वाला था क्योंकि भारत केवल तेज गेंदबाजी आक्रमण के साथ मैदान पर उतरा है. यह 2012 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट मैच के बाद पहला अवसर है जबकि अंतिम एकादश में कोई स्पिनर नहीं है.

भारतीय टीम अगर किसी समय अच्छी स्थिति में दिखी तो तब जब पुजारा और कोहली क्रीज पर थे. इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिये 84 रन की साझेदारी की जिसमें अधिकतर योगदान कोहली का था. ये दोनों हालांकि अपने अर्धशतक पूरा करने के बाद क्रीज पर नहीं टिक पाये जिससे टीम बैकफुट पर चली गयी.

पुजारा ने पहले दो सत्र में क्रीज पर टिके रहने को तरजीह दी. उन्होंने 53 गेंद के बाद अपना खाता खोला तथा 179 गेदों का सामना करके आठ चौके लगाये. कोहली ने अपने सदाबहार अंदाज में बल्लेबाज़ी की 106 गेंद की अपनी पारी में नौ चौके जड़े.

कोहली को दो जीवनदान भी मिले. इस बीच रबाडा के साथ उनकी रोचक जंग भी देखने को मिली. लंच के पहले घंटे में अगर भारत 50 रन बना पाया तो उसका श्रेय कोहली को ही जाता है.

भारतीय कप्तान ने 101 गेंदों पर अपना 16वां टेस्ट अर्धशतक पूरा किया. इसके बाद हालांकि भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया तथा 43वें ओवर में लुंगी एंगिडी की गेंद पर डिविलियर्स ने उनका कैच लपक दिया.
भारत ने 46वें ओवर में 100 रन का आंकड़ा पार किया. इसके बाद रहाणे भी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाये. वर्नोन फिलैंडर की गेंद पर उन्हें कैच आउट दिया गया लेकिन यह नो बाल निकल गयी.

रहाणे को इसके बाद मोर्कल की गेंद पर एलबीडबल्यू आउट दे दिया गया. बल्लेबाज़ ने रिव्यू लिया. गेंद लेग साइड की तरफ जा रही थी और केवल स्टंप को स्पर्श कर रही थी लेकिन अंपायर ने अपना फैसला नहीं बदला. उन्होंने नौ रन बनाये.

पुजारा ने तीसरे सत्र के शुरू में कुछ आकर्षक शाट लगाये और 173 गेंदों पर अपना 17वां अर्धशतक पूरा किया. ऐसे में फेलुकवायो उनकी एकाग्रता भंग करने में सफल रहे. उनकी इनस्विंगर पुजारा के बल्ले को चूमकर विकेटकीपर क्विंटन डि काक के दस्तानों में समा गयी.

डिकाक ने इससे पहले राहुल और विजय के कैच भी लिये थे. फिलैंडर की गेंद राहुल के बल्ले का अंदरूनी किनारा लेकर गयी जबकि विजय ने नौंवे ओवर में रबाडा की गेंद पर विकेट के पीछे कैच दिया.

भारत ने बीच में 12 गेंद के अंदर तीन बल्लेबाज़ गंवाये जिनमें पुजारा के अलावा विकेटकीपर पार्थिव पटेल और आलराउंडर हार्दिक पंड्या (शून्य) भी शामिल हैं. इस बीच कोई रन नहीं बना तथा स्कोर चार विकेट पर 144 रन से सात विकेट पर 144 रन हो गया. पंड्या फिर से गैरजिम्मेदाराना शाट खेलकर पवेलियन लौटे.