नई दिल्ली: भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए पिछला साल जहां काफी शानदार रहा, वहीं इस साल के शुरुआत में ही साउथ अफ्रीका से काफी महत्वपूर्ण सीरीज़ हार गए. इस वजह से वह आलोचना के घेरे में हैं, लेकिन अब उन पर अब सबसे बड़ा हमला हुआ है. यह हमला किसी ओर ने नहीं बल्कि बीसीसीआई के क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी सदस्य रह चुके इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने किया है.

गुहा ने खेल और उनकी कप्तानी के से जुड़े कई मुद्दों को उठाकर उनको बुरी तरह घेर लिया है. गुहा ने लेख के जरिये जहां विराट कोहली के क्रिकेट कौशल की तारीफ की, वहीं उन्हें निशाने पर भी लिया. साथ ही गुहा ने बीसीसीआई में बढ़ते उनके कद पर भी सवाल उठाया.

कोलकाता टेलीग्राफ में पब्लिश इस लेख में उन्होंने कहा कि मार्च 2016 में आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ, 2012 में बेंगलुरु टेस्ट, न्यूजीलैंड के खिलाफ, एडीलेड टेस्ट में विराट के प्रदर्शन को देखने के बाद उनके जेहन में बचपन से बनी छवियां एक नया आकार लेने लगी थीं और उनकी नई ड्रीम 'ऑल टाइम इंडिया इलेवन' टीम में सचिन, गावस्कर, द्रविड़, सहवाग के साथ विराट की भी जगह तय हो गई थी. उन्होंने विराट को करिश्माई खिलाडी बताया, लेकिन इसके साथ ही अपने चार महीने के कार्यकाल में बीसीसीआई में विराट के बढ़ते कद को भी गैरजरूरी करार दिया.

गुहा ने भारतीय कप्तान को घेरते हुए कहा कि उन्हें चीजों को और लोगों को अपने काबू में करना बखूबी आता है. यहां तक कि महत्तवपूर्ण फैसलों में भी भारतीय कप्तान भी राय ली जाती है.

उन्होंने विराट पर तंज कसते हुए कहा कि मैदान और मैदान के बाहर सिर्फ और सिर्फ वहीं दिखते हैं, जो कि भारतीय खेल इतिहास के अनोखा उदाहरण है. उन्होंने कोहली के बराबर सिर्फ अनिल कुंबले को माना. उनके अनुसार कुंबले के जाने की वजह भी यही बनीं. गुहा ने चयन समिति पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और विनोद राय भी कोहली से घबरा गए थे, तभी तो टॉम मूडी और अन्य के सामने रवि शास्त्री को चुना गया.

गुहा ने अपने लेख में कहा कि कुछ 'विराट भक्त' उनकी हाल की पारियों के कारण इस लेख की समय पर भी सवाल उठा सकते हैं, लेकिन यह बिल्कुल सही समय है कि याद रखा जाए कि किसी व्यक्ति की महानता को संगठन पर हावी होने की छूट न मिले. उन्होंने टीम में व्यक्ति की शक्ति सीमा को तय करने पर जोर दिया. साथ ही साउथ अफ्रीका दौर पर मिली दोनों टेस्ट मैचों में हार के लिए टीम चयन पर सवाल उठाए.

गुहा ने कहा कि अंजिक्य रहाणे अगर दोनों टेस्ट मैच खेलते, दूसरे टेस्ट मैच में भुवनेश्वर शर्मा (ईशांत शर्मा को टीम उनकी जगह शामिल किया गया था) खेलते और श्रीलंका के खिलाफ गली क्रिकेट खेलने की बजाय टीम इंडिया को दो सप्ताह पहले ही साउथ अफ्रीका चल गई होती तो शायद आज नतीजे हमारे पक्ष में होते.

गुहा ने टीम की रैंकिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि ब्राजील में जितने लोग फुटबॉल से प्यार नहीं करते, उससे दस गुना ज्यादा हमारे यहां लोग क्रिकेट को चाहते हैं. बीसीसीआई के पास धन की कमी नहीं. ऐसे में तो टीम इंडिया को विश्व की शीर्ष टीमों में होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में भी आॅस्ट्रेलिया में कोई सीरीज न जीत पाने के पीछे हमारे प्रबंधन की ही चूक है.

उन्होंने कहा कि आज चयनकर्ता, कोचिंग स्टाफ, प्रशासक हर कोई विराट के कद के आगे बौना दिख रहा है. उन्होंंने सही चयनकर्ता, कोच और प्रशासक के गुण के बारे में बताया. अपनी इच्छा जाहिर करते हुए गुहा ने कहा कि विराट अपने करियर को वहां रोकें, जहां वह मेरी कल्पना वाली टीम के सफल कप्तान भी हो.