लखनऊ: ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने हज यात्रियों को दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी को खत्म किए जाने पर मंगलवार को कहा कि अब तक अनुदान के नाम पर मुसलमानों के साथ धोखा किया जा रहा था और इस निर्णय का कोई मतलब नहीं है। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने हज सब्सिडी को खत्म किए जाने के बारे में पूछने पर बताया कि सरकार दरअसल, हज यात्रियों को नहीं बल्कि घाटे में चल रही एयर इण्डिया की मदद के लिए सब्सिडी दे रही थी। यह एक छलावा था। सब्सिडी के नाम पर मुसलमानों के साथ सिर्फ धोखा किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि हज सब्सिडी बुनियादी तौर पर एयर इण्डिया के लिए हुआ करती थी, हाजियों के लिए नहीं। आम दिनों में सऊदी अरब आने-जाने का टिकट 32 हजार रुपए में मिलता है जबकि एयर इण्डिया हज के वक्त किराए में बेतहाशा बढ़ोत्तरी करते हुए हाजियों से 65 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक वसूलती है। अगर बगैर किसी सब्सिडी के हाजियों से किराया लिया जाए तो वह कम होगा।

रहमानी ने कहा कि जब हज यात्री विमान के टिकट के थोक खरीदार हैं, तो उनका किराया सस्ता होना चाहिए, ना कि महंगा। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का नियम है कि अगर कोई किसी तीर्थस्थल पर जा रहा है तो उसे किराए में 40 प्रतिशत की छूट मिलेगी। अगर किराया सस्ता ना हो तो उतना तो होना ही चाहिए जितना सामान्य दिनों में होता है। इस बीच, ऑल इण्डिया शिया पर्सनल ला बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने हज सब्सिडी खत्म किए जाने पर कहा कि बोर्ड हज अनुदान का पक्षधर रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार एयर इण्डिया के घाटे को कम करने के लिए हज सब्सिडी दिया करती थी लेकिन अब इसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक मामलों के केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि वह इस सब्सिडी के धन को मुसलमानों की शिक्षा पर खर्च करेंगे। अगर ऐसा होता है तो यह अच्छी बात होगी। मगर वो गरीब लोग अब सब्सिडी से महरूम हो जाएंगे जो इसके सहारे हज करने चले जाते थे।