यह दूरसंचार उद्योग के लिए मिलीजुली भावनाओं वाला एक साल रहा है। यह साल, भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के लिए कुछ आशा और कुछ निराशा लिए आया था, लेकिन निश्चित रूप से कोई भी इनसे पूरी तरह अनजान नहीं था। वर्ष की शुरुआत मोबाइल भुगतान उपयोग में धमाके के साथ हुई, जो कि सरकार के विमुद्रीकरण से प्रेरित था। अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दूरसंचार उद्योग के समर्थन सहित संचार मंत्रालय (दूरसंचार विभाग) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से इसकी गति को आगे बढ़ाने में सक्रिय रहते हुए जुटा हुआ है। यह, वह वर्ष भी है, जिसे वाणी से डेटा की तरफ जाने के वर्ष के रूप में याद रखा जाएगा, जहां वास्तव में उपभोक्ता को खूब फायदा हुआ।

श्री राजन एस. मैथ्यूज, महानिदेशक, सीओएआई, के अनुसार, नए सेवा प्रदाताओं से होड के चलते कंपनियों को मजबूर होकर उपभोक्ताओं को कई ऑफर देने पड़े और उद्योग ने अभूतपूर्व उच्च-प्रतियोगिता का एक चरण भी देखा। सभी प्रमुख ऑपरेटरों ने अपनी 4ळ सेवाओं का विस्तार किया और वाणी और डेटा सेवाओं से परे विविधीकरण शुरू किया। कुल मिला कर उपभोक्ता को सिक्के के दोनों पहलुओं में जीत मिलती रही। वर्ष के पहले दस महीनों में वायरलेस ब्रॉडबैंड उपभोक्ताओं की संख्या 217.95 मिलियन से 40 फीसदी (90 मिलियन) बढकर 306.85 मिलियन वायरलेस ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ताओं तक पहुंच गई। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) और रॉक बॉटम टैरिफ के बीच बढ़ी प्रतिस्पर्धा के कारण डेटा की खपत भी बढ़ गई।
उद्योग अभी भी 4.6 लाख करोड़ रुपये के बड़े पैमाने पर संचयी कर्ज के साथ संघर्ष कर रहा है, जबकि राजस्व 2 लाख करोड़ रुपये से कम हो चुका है। इस पर संज्ञान लेते हुए, सरकार ने अंतर-मंत्रीस्तरीय समूह (आईएमजी) का गठन किया और राहत के लिए सिफारिशें एकत्रित की। दूरसंचार और बैंकिंग क्षेत्र की संपूर्ण व्यथा सुनने के बाद पैनल ने अपनी सिफारिशों को प्रस्तुत किया है और हम आशावादी हैं कि कोई राहत जरूर मिलेगी।

इस वर्ष, सरकार ने माल और सेवा कर (जीएसटी) शुरू किया था। हालांकि, सिद्धांत रूप में यह एक स्वागत योग्य फैसला था, हालांकि इसका मतलब है कि क्षेत्र के लिए 15 फीसदी कर दर से 18 फीसदी की अव्यवहार्य वृद्धि हुई है, बल्कि दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम और लाइसेंस शुल्क के लिए लेवी में 15 फीसदी और भुगतान करना होता है। दूरसंचार कंपनियों को उम्मीद है कि जीएसटी की दर को 12 फीसदी तक घटाया जाएगा, क्योंकि दूरसंचार एक अनिवार्य सेवा है और दूरसंचार विभाग ने भी इसका समर्थन किया है। दूरसंचार नियामक ने इंटरकनेक्शन उपयोग शुल्क (आईयूसी) 14 पैसे से घटाकर 6 पैसे कर दिया है, जो इस क्षेत्र में निवेश की वापसी (आरओआई) को समग्र रूप से प्रभावित करता है।

इस वर्ष भारत ने वैश्विक ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ व्यापार करने में आसानी वाली वैश्विक रैंकिंग में 30 स्थानों की छलांग लगाई है और नियामक ने इस क्षेत्र के लिए व्यापार करने की आसानी पर काफी महत्वपूर्ण सिफारिशें भी जारी की हैं, हमें उम्मीद है कि दूरसंचार विभाग इन पर समुचित विचार करेगा।

मौजूदा वर्ष 2018 भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के लिए सबसे दिलचस्प दौर होगा। 2017 में शुरू हुए समेकन का अच्छा नतीजा निकलेगा, दूरसंचार कंपनियों को कम प्रतिस्पर्धा और संचालन में तालमेल का लाभ देकर बेहतर मार्जिन के लिए यह साल अग्रणी रहेगा। इससे दूरसंचार कंपनियों को 5ळ जैसी नई प्रौद्योगिकियों में निवेश करने की अनुमति मिल जाएगी, जबकि 4ळ नेटवर्क और सेवाओं का विस्तार जारी रहेगा। अनुमानित रूप से 5ळ को लाना अभी एक-दो वर्ष दूर हैं लेकिन दूरसंचार कंपनियों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है, जिन्हें सरकार और उद्योग से हर तरह के समर्थन की उम्मीद है।

समेकन के साथ, समग्र लागत भी कम हो जाएगी, जिससे मार्जिन बढ़ेगा और दीर्घकालिक स्थिरता में सुधार होगा। समेकन के बाद, हम उम्मीद करते हैं कि आइडिया-वोडाफोन का गठबंधन कुल मिलाकर 40 फीसदी बाजार हिस्सेदारी वाला हो जाएगा, एक ऐसा आंकड़ा जो कि 38 फीसदी हिस्सेदारी वाले एयरटेल के काफी करीब है।

टावर कंपनियों के लिए, हम व्यापार में एक महत्वपूर्ण वृद्धि की उम्मीद करते हैं क्योंकि शेष 60 फीसदी आबादी को इंटरनेट से जोडने के लिए कहीं अधिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना साकार होगा।

2018 की पहली तिमाही तक सरकार की ओर से राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (एनटीपी) 2018 लाने की संभावना है। एनटीपी डाक्यूमेंट ने ऐतिहासिक रूप से एक रूपरेखा के रूप में कार्य किया है, उद्देश्य नीतिगत निर्णयों को निर्देश देने और भविष्य के लिए एक सुविधाजनक नियामक वातावरण सुनिश्चित करना है। एनटीपी 2018 से काफी उम्मीदें हैं, यह भारत को प्रौद्योगिकी के अगले दशक में ले जाएगी, जिसमें – ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी), मशीन-टु-मशीन (एम 2 एम) जैसी सेवाओं की शुरूआत करना और 5ळ रोल-आउट को सक्षम करना जैसे कदम शामिल हैं। ड्राइवरलेस कार से लेकर ऐसी तकनीकों वाली सेवाएं, जिनकी बदौलत ऐसा समय भी आ सकता है जब रेफ्रिजरेटर्स सीधे किसानों को वांछित उत्पादन का ऑर्डर दें। यह सब कुछ निकट भविष्य में आपके फोन पर एक बटन की क्लिक के साथ संभव हो सकता है।

यह लेख श्री राजन एस. मैथ्यूज, महानिदेशक, सीओएआई, व्दारा लिखा गया है