नई दिल्ली: मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में 9 महीने की योगी सरकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रडार पर आती दिख रही है. आयोग ने अभी तक 9 मामलों में मानवाधिकार को लेकर सवाल उठाए हैं. इनमें अधिकतर मामलों में सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.

जानकार कहते हैं कि सरकार आयोग की नोटिसों को गंभीरता से नहीं लेती. बस निलंबन और जांच कमेटी बिठाने की कार्रवाई दिखाकर खानापूर्ति कर देती है. सरकार को इस पर गंभीर विचार करने की जरूरत है क्योंकि मानवाधिकार आयोग की नोटिसें कहीं न कहीं बेहतर समाज बनाने की कोशिश हैं.

पिछले तकरीबन साल भर में गाजियाबाद फर्जी इनकाउंटर, बीएचयू छेड़छाड़, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत से लेकर रायबरेली में एनटीपीसी हादसे और उन्नाव में टॉर्च की रोशनी में आंख के आॅपरेशन के मामले में एनएचआरसी ने यूपी सरकार को नोटिस दिया है.

मामले में उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह मानवाधिकार आयोग की नोटिसों को गंभीरता से लिए जाने की बात कहती हैं. वह कहती हैं कि अमूमन यही होता है कि नोटिस आने के बाद छोटे कर्मचा​री आदि को निलंबित कर दिया जाता है.

वहीं पूरे प्रकरण की जांच के लिए कमेटी आदि गठित कर दी जाती है. इसके बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. चाहे वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का मामला हो या उन्नाव में टॉर्च की रोशनी में जांच आंख का आॅपरेशन करने का मामला हो.

अभी बाराबंकी में ही वॉर्ड ब्वॉय के जिम्मे पूरा अस्पताल देने के मामले में सीएमओ का बयान आया है ​कि वह जांच कमेटी बिठा रहे हैं. जूही सिंह कहती हैं कि हमें मानवाधिकार से जुड़े मामलों में गंभीर होने की जरूरत है. जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया, उस पर अमल कितना हुआ. आगे इस तरह की घटनाएं न हों, इस पर क्या योजना बनाई गई, कितना अमल हुआ. इन बातों पर भी गौर करने की जरूरत है. लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं देती.

मामले में बीजेपी के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी कहते हैं कि मानवाधिकार आयोग एक संवैधानिक संस्था है. हम उसका सम्मान करते हैं. वह अपना काम कर रही है. वहीं सरकार अपना काम कर रही है. आयोग की नोटिसों पर शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि ये सही है अपराधियों के मारे जाने पर आयोग संज्ञान लेता है, जांच करता है कि मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ कि नहीं.

लेकिन अभी कल ही हमारी यूपी पुलिस का एक जवान अपराधी से इनकाउंटर करने में शहीद हुआ है. ऐसे तमाम लोग हैं, जो अपराधियों की गोली से मारे जाते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि मानवाधिकार कभी एक बार भी उनके लिए भी सहानुभूति का भाव प्रदर्शित करे.