नई दिल्ली : रणजी ट्रॉफी के फाइनल में दिल्ली को हराकर विदर्भ की टीम ने इतिहास रच दिया. इसके साथ ही टीम के एक खिलाड़ी ने भी अपने नाम के साथ कई रिकॉर्ड जोड़ लिए. मुंबई के पूर्व कप्तान वसीम जाफर ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में एक और नया पन्ना अपनी रिकॉर्ड बुक में जोड़ लिया. वसीम जाफर वैसे तो रणजी के इतिहास में सबसे कामयाब बल्लेबाज हैं. उनके नाम पर रणजी में 10 हजार से ज्यादा रन हैं. इस आंकड़े तक रणजी के इतिहास में कोई भी खिलाड़ी नहीं पहुंच पाया है.

वसीम जाफर नौवीं बार रणजी फाइनल में खेल रहे थे. कमाल की बात ये है कि हर बार उनकी टीम चैंपियन रही. यानी वह जिस भी टीम से खेले, उनकी टीम को फाइनल में हार का सामना नहीं करना पड़ा. इस बार भी विदर्भ पहली बार फाइनल में पहुंची और उसने जीतकर नया इतिहास रच दिया.

हालांकि ये पहली बार था जब नौवीं बार रणजी फाइनल में खेल रहे जाफर ने चौका जड़कर अपने करियर में विजयी रन बनाया. कुछ दिनों में 40 साल के होने जा रहे वसीम जाफर के नाम 138 मैचों में 10738 रन हैं. इस दौरान उनके नाम पर 36 शतक दर्ज हैं.

वसीम जाफर रणजी के इतिहास के अब तक के सबसे कामयाब बललेबाज हैं. उनके आसपास भी कोई नहीं है. ये इस खिलाड़ी की जीवटता है कि उनके साथ के खिलाड़ी रहे अमोल मजूमदार अब कमेंट्री बॉक्स में पहुंच चुके हैं, लेकिन ये 39 साल का खिलाड़ी अब भी मैदान में डटा हुआ है. वह न सिर्फ डटे हुए हैं, बल्कि रन भी बना रहे हैं. फाइनल में उन्होंने पहली पारी में 78 रनों की पारी खेली.

जाफर ने 1996-97 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यु किया. दूसरे ही मैच में उन्होंने तिहरा शतक जड़ दिया. 2000 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा. उसके बाद 31 मैचों में उन्होंने 1944 रन बनाए. इसमें 5 शतक और 11 अर्धशतक शामिल थे. हालांकि बाद में उन्हें ड्रॉप कर दिया गया.

2002 में वह वेस्ट इंडीज टूर पर फिर से टीम में शामिल हुए. हालांकि जल्द ही वह फिर बाहर हो गए. 2005 में उन्हें श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में फिर बुलाया गया. इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने एक मैच में शतक लगाया और 2006 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने दोहरा शतक बनाया. इसके बाद गौतम गंभीर ने उनकी जगह टेस्ट टीम में ले ली. उनकी कप्तानी में मुंबई टीम ने दो रणजी खिताब अपने नाम किए.