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‘नरेंद्र मोदी ऐप’ पर भाजपा सांसदों का सर्वे

नई दिल्ली: कल यानी गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी सांसदों को नरेंद्र मोदी ऐप का इस्तेमाल न करने पर टोका था. आज सांसदों को नई जिम्मेदारी दे दी गई. सांसदों का नरेंद्र मोदी ऐप पर अब एक सर्वे कराया जा रहा है. इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं का सांसदों के क्षेत्र में असर का आकलन करने को कहा गया है. सांसदों से कहा गया है कि वो 11 जनवरी तक इसका जवाब दें.

इस सर्वे में सांसदों से केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में कई सवाल पूछे गए हैं. इस पूरी कवायद का मकसद दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सांसदों को तैयार करना तथा सरकारी योजनाओं के बारे में जमीनी फीडबैक लेना है.

सांसदों से सबसे पहला सवाल पूछा जा रहा है कि केंद्र सरकार की किस योजना का जमीन पर सबसे ज्यादा असर दिखाई दे रहा है. सांसदों को चार योजनाओं के विकल्प सुझाए गए हैं. साथ ही, वो इनमें से कोई अलग योजना का नाम भी बता सकते हैं. जिन चार योजनाओं का विकल्प दिया गया है वो हैं मुद्रा योजना Mudra), उज्जवला योजना, पीएम आवास योजना और जन धन योजना.

इसके बाद सांसदों से पूछा गया कि उनके संसदीय क्षेत्रों में इन योजनाओं का किस तरह का असर वो महसूस करते हैं. इसके लिए चार विकल्प दिए गए हैं- बहुत अच्छा, अच्छा, सुधार की गुंजाइश और बुरा. फिर सांसदों से इन योजनाओं के लाभार्थियों के बारे में जानकारी पूछी गई है. सरकार की अपेक्षा है कि सांसद लाभार्थियों से संपर्क रखें ताकि चुनाव के समय उनकी राय का इस्तेमाल हो सके. इसके लिए सवाल पूछा गया है कि क्या आप योजनाओं के लाभार्थियों से मिल कर या एसएमएस/ईमेल के जरिए संपर्क करते हैं? सांसदों को हां या नहीं में जवाब देना है.

एक अन्य महत्वपूर्ण पक्ष इन योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर जनता की राय के बारे में है. सांसदों से पूछा गया है कि क्या वे लोगों की राय लेकर पार्टी तक पहुंचाते हैं? क्या उन्होंने इसके लिए कोई तरीका ईजाद किया है? सांसदों को इसका ब्यौरा देने के लिए कहा गया है.

सर्वे का अंतिम प्रश्न नरेंद्र मोदी ऐप के बारे में है. सांसदों से पूछा गया है कि क्या आपको नरें मोदी ऐप पर सरकार द्वारा उठाए जा रहे सकारात्मक कदमों के बारे में पर्याप्त सामग्री मिल जाती है? सांसदों को इसका जवाब हां या नहीं में देना है.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि नरेंद्र मोदी ऐप के अब तक एक करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं. सरकार और जनता के बीच संपर्क के लिए यह एक बड़ा माध्यम है. इसीलिए सांसदों को इसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है.

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