लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में आयोजित एक ‘इन हाउस’ कार्यक्रम में परिसहाय (एडीसी) के कर्तव्यों एवं दायित्वों पर आधारित मैनुअल ‘कंपेडियम आॅफ इंस्ट्रक्शन फाॅर ए0डी0 कैम्प टू गवर्नर, उत्तर प्रदेश’ का विमोचन किया। यह मैनुअल पूर्व एडीसी गौरव सिंह एवं मेजर शरत नाबिंयार द्वारा संकलित किया गया है जिसमें वर्तमान एडीसी स्क्वा0लीडर प्रवीण भौरिया एवं डाॅ0 अभिषेक महाजन ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राजभवन उत्तर प्रदेश में ‘कंपेडियम आॅफ इंस्ट्रक्शन फाॅर ए0डी0 कैम्प टू गवर्नर, उत्तर प्रदेश’ के प्रकाशन से पूर्व एडीसी के कर्तव्य एवं दायित्व से संबंधित कोई सुव्यवस्थित संकलन लिखित रूप में उपलब्ध नहीं था। मैनुअल का प्राक्कथन राज्यपाल द्वारा लिखा गया है।

राज्यपाल ने विमोचन के पश्चात् अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजभवन में एडीसी की प्रमुख भूमिका होती है जो राजभवन की गरिमा को बढ़ाने का काम करते हैं। एडीसी की अलग पहचान और रूआब होता है। प्रदेश में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य महानुभावों के आगमन पर जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ कार्यक्रम को सफल बनाने में एडीसी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। राज्यपाल की शपथ ग्रहण समारोह, विदाई समारोह, मुख्यमंत्री व मंत्रिमण्डल के शपथ ग्रहण समारोह सहित अन्य समारोहों में एडीसी का प्रमुख दायित्व होता है। उन्होंने कहा कि एडीसी की कार्यपद्धति से राजभवन की प्रतिमा बनती है।

श्री नाईक ने कहा कि एडीसी मैनुअल एक तरह से डाक्यूमेंटेशन है, भविष्य में राजभवन आने वाले अधिकारियों को इसके माध्यम से यहाँ की कार्यपद्धति को समझने में आसानी होगी। एडीसी के दायित्वों के बारे में अधिकृत जानकारी का कोई संकलन अथवा पुस्तक न होना आश्चर्य की बात है। उन्होंने राजभवन के समस्त लोगों से सुझाव मांगते हुए कहा है कि उनके उपयुक्त सुझावों को समाविष्ट करके यह संकलन राष्ट्रपति व अन्य राजभवनों को भी भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि मैनुअल निश्चित रूप से समय-समय पर एडीसी के कार्यों के निर्वहन में उपयोगी सिद्ध होगा।

राज्यपाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि आम तौर से परिसहाय राज्यपाल के पीछे खड़े होते है और कभी-कभी उनका छायाचित्र भी समाचार पत्रों में आ जाता है। आमतौर से वे बोलते नहीं हैं। आज राजभवन में परिसहायों को अपने विचार व्यक्त करते हुए भी सुना। उन्होंने कहा कि राजभवन में लिखने की प्रगति देखने को मिलती है। यहाँ आकर उन्होंने भी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ लिखी है जो अब तक पांच भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। विधि परामर्शी द्वारा भी दो पुस्तकें लिखी गई तथा प्रतिवर्ष धन्वन्तरि जयंती पर ‘शतायु की ओर’ पत्रकों का प्रकाशन होता है। उन्होंने कहा कि राजभवन में कवि, नाटककार व अन्य कलाओं में पारंगत लोग भी हैं।