लखनऊ: वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने भदंत गलगेदर प्रज्ञानंद को लालकुंआ स्थित बुद्ध विहार में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि भदंत ने जीवन पर्यन्त मानवीय मूल्यों को मजबूत किया और धर्म के मूल दर्शन को जनकल्याण की भावना से जोड़ा। भले ही उनका जन्म श्रीलंका में हुआ लेकिन उन्होंने अपने ज्ञान व अर्जित प्रज्ञा से भारतीय मनीषा में नए आयाम जोड़े। उन्हें यदि महान अशोक के पुत्र महेन्द्र की विरासत की अप्रतिम कड़ी कहा जाए और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के माध्यम से मानवता का विस्तार किया, वर्तमान युग में गलगेदर सिलोन से भारत आकर राजा महेन्द्र के कार्यों को आगे बढ़ाया। श्री यादव ने भिक्षु गलगेदर की स्मृतियों को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने कभी अपने लिए कुछ नहीं माँगा, न ही संपत्ति व संतति के मोह में पड़े, पूरा जीवन समानता व बुद्ध का संदेश देने लगा दिया।

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को 13 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में दीक्षा देने वाले भदंत सादगी की बेमिसाल मूर्ति थे। वे बौद्ध भिक्षु व सिंहली-भाषी होते हुए वेद भाषा संस्कृति के प्रबल पैरोकार थे। ऐसी विभूतियाँ समाज को बेहतर बनाने के लिए धरती पर आती है। जिन्दा रहते हमारा मार्गदर्शन करती ही है, महाप्रयाण के बाद उनके महान विचार ही हमें सद्राह दिखाते हैं। श्री शिवपाल ने इस अवसर पर कहा कि धर्म व राजनीति का अंतिम लक्ष्य बुराई को समाप्त कर समानान्तर अच्छाई को स्थापित करना है। यही कारण है कि बाबा साहब व डा० लोहिया ने धर्म व राजनीति के पारस्परिक व पारम्परिक संबंधों को कभी नकारा नहीं अपितु विवेकपूर्ण समागम की पैरवी करते रहे।

उन्होंने बाबा साहब, डा० लोहिया व भदंत से प्रेरणा लेकर बुद्धिजीवियों से धर्म व राजनीति कट्टरता, साम्प्रदायिकता अवमूल्यन व सुकुचन से बचाने के लिए सतत् अभियान चलाने पर जोर दिया। श्री यादव के साथ समाजवादी चिन्तक व चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र भी मौजूद रहे।