लखनऊ: आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंप का यह फैसला की यरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देना और अमेरिकी दूतावास और तेल अवीव से यरूशलम ले जाने की प्रक्रिया पर न सिर्फ अमेरिका व फिलस्तीन बल्कि पूरी दुनिया में उनके इस कदम पर घोर विरोध हो रहा है अमेरिकी सरकार का यह दावा है कि यरूशलम प्राचीन काल से ही यहूदी लोगों की राजधानी रही है और इजरायल की सरकार का मुख्यालय और कई प्रमुख मंत्रालय संसद और सुप्रीम कोट्र यरूशलम में ही है जबकि दुनिया यह जानती कि इसराइल नाम का कोई देश ही नही था जब 1914 से 1918 के बीच हिटलर ने यहूदियो खिलाफ कत्लेआम बरपा किया और उनको देश बदर होने पर मजबूर किया तब अरब देष ने यहूदियो को शणरार्थी के तौर पर फलस्तीन में रहने की इजाजत दी थी। और धीरे धारे 1948 में जब बिटिश सरकार ने फिलिस्तीन से अपना कब्ज़ा खत्म किया उस समय 1948 में यहूदियों ने इजराइल को अपने देश के नाम से घोषण कर दी। तब से आज तक फिलिस्तीन और इजराइल के बीच यह जंग जारी है। श्री अशरफ ने कहा कि मुसलमान का किब्ला-ए-अव्वल यरूशलम में ही है। और फिलस्तीन की राजधानी यरूशलम ही है। ट्रंप का यह कदम उनकी इस्लाम विरोधी सोच को दर्शाता है और दहशतगर्दाना कदम को प्रेरित करता है। श्री अशरफ ने कहा कि हम ट्रंप के इस कदम की खुली मज़म्मत करते है तथा मुस्लिम देशों से यह अपील की है कि ट्रंप के इस कदम का खुला विरोध करें तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष इस मसले को रखकर अमेरिकी सरकार के विरोध इस घृणित कार्य को समाप्त करने पर मजबूर करें वरना सम्पूर्ण विश्व में आतंकवादी गतिविधियाॅं तेज हो जाएगाी जिसे रोकना असम्भव हो जाएगा। और तीसरे विश्व युद्व की तरफ अग्रसर हो जाने का रास्ता खुल जाएगा। श्री अशरफ ने कहा कि 15 दिसम्बर जुमे के दिन हम यौमें सियाह मनाने की अपील करते है। और तमाम इमामे मस्जिद से अपील करते है कि इसके विरूद्व अपनी आवाज़ से अमेरिका के इस घृणित कदम का विरोध करें। और यह दुआ करें की आलेमे इस्लाम पर जो अमेरिकी ट्रंप द्वारा घृणित कदम उठाया गया उसे समाप्त करनें में अल्लाह हमारी मदद करें।