लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) रासुका में बंद सहारनपुर के युवा दलित नेता व भीम आर्मी के संयोजक चंद्रशेखर रावण की रिहाई के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर पांच दिसंबर को राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगी।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि दो प्रमुख मांगों को लेकर पार्टी कार्यकर्ता पांच दिसंबर को सड़कों पर उतरेंगे। पहला, चंद्रशेखर रावण को तत्काल रिहा किया जाये और उन पर समेत भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं पर लादे गये रासुका व फर्जी मुकदमे वापस लिये जायें। दूसरा, शब्बीरपुर (सहारनपुर) के दलितों पर हमले व आगजनी के जिम्मेदार सभी लोगों को जेल भेजा जाये।

राज्य सचिव ने कहा कि दलित नेता को राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा उत्पीड़ित किया जा रहा है। उन्हें फर्जी आरोपों में फंसाया गया है और उनका स्वास्थ्य भी खराब हो गया है।

उन्होंने कहा कि बीती पांच मई को शब्बीरपुर के दलितों पर ठाकुर जाति के सामंती लोगों के हमले व आगजनी के खिलाफ नौ मई को सहारनपुर में भीम आर्मी ने प्रदर्शन किया था। पुलिस द्वारा रोकने व लाठी चार्ज करने से प्रदर्शन हिंसक हो गया था। भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर ने प्रदर्शन के दौरान अपने लोगों से शांत रहने की अपील की और पूरी ताकत लगाकर स्थिति को बेकाबू होने से बचा लिया था। इसके चलते, सहारपुर में कुछेक स्थानों पर छिटपुट हिंसा के बाद कुछ ही घंटों के अंदर सब कुछ सामान्य हो गया था।

माले नेता ने कहा कि योगी सरकार ने शब्बीरपुर में दलितों का घर जलाने व हिंसा करने वालों पर कार्रवाई करने के बजाय, पूरे मामले को भीम आर्मी की हिंसा की ओर मोड़ देने के लिए चंद्रशेखर व अन्य दलित युवाओं को फर्जी आरोप में जेल में डाल दिया। यही नहीं, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन आरोपों में जमानतें मंजूर कर लीं, तो तत्काल बाद ही राज्य सरकार ने रासुका लाद दिया, ताकि उनकी जल्द रिहाई न हो सके। जेल में दलित नेता को तमाम तरह की यातनाएं दी गईं।