कानपुर: दिल्ली में होने वाले जमीअत उलमा ए हिन्द के राष्ट्रीय एकता सम्मेलन की घोषणा के अनुसार हरे पेड़, पौधों के संरक्षण और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर मानवता और समस्त जीवों को लाभ पहुंचाने के लिए आज प्रदेश के औद्योगिक नगर कानपुर से जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी ने वृक्षारोपण अभियान शुरू किया।

मौलाना उसामा क़ासमी ने इस अवसर पर कहा कि वृक्षारोपण के लाभ से सभी परिचित हैं आज पूरी दुनिया में वृक्षों के कम होने पर चिंता पाई जा रही है, वृक्षारोपण जहां मानव आवष्यकताओं में काम आता है वहीं मानव जीवन व प्रयावरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस्लाम ने बहुत पहले से ही इंसानों को खबरदार कर दिया था कि छायादार व फलदार पेड़ों को न काटा जाए, बहुत सारे लोग वृक्षारोपण करते हैं वृक्षारोपण के लिए इस्लाम ने प्रोत्साहित किया है, इस प्रक्रिया को ‘‘सदक़ा ए जारीया’’(लगातार मिलने वाला पुण्य) बताया गया है कि इसके द्वारा प्रयावरण संरक्षण के अलावा जो भी लाभ उठाएगा ,पषु-पक्षी जो भी फल-पत्ती खाएंगे, यात्री इसकी छाया में आराम करेंगे उसका सवाब(नेकी) वृक्ष लगाने वाले को मिलता रहेगा। आज वृक्षारोपण अभियान पूरे उत्तर प्रदेश के लिए शुरू किया गया है इसके तहत पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण किया जाएगा ये मुबारक महीना रबीउल अव्वल का है इस महीने में हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ है। आप स0अ0व0 की शिक्षाएं रहमत की षिक्षा है, आज के दौर में स्वच्छता व प्रयावरण सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण आवश्यक हो गया है, अगर पेड़ लगाएंगे तो यह पूरी मानवता ही नहीं बल्कि समस्त जीवों को इससे लाभ मिलेगा। प्रदेष अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी ने जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के सभी पदाधिकारियों और सभी नागरिकों, मुसलमानों व देषबंधुओं से अपील की है कि वे इस अभियान को आगे बढ़ाकर सफल बनाएँ और कम से कम हर नागरिक अपनी ओर से एक पौधा अवश्य लगाए। इस तरह हजारों-लाखों पौधे मानवता की सबसे अच्छी सेवा होगी। इस अवसर पर जमीअत उलमा नगर कानपुर के उपाध्यक्ष मौलाना नूरुद्दीन अहमद क़ासमी, मौलाना मुहम्मद शफी मज़ाहिरी, सचिव मौलाना मुहम्मद अकरम जामई, मौलाना तारिक शम्सी इटावा, सचिव अब्दुल मुईद चैधरी, मुफ्ती मुहम्मद उस्मान क़ासमी, मुफ्ती असदुद्दीन क़ासमी, मुफ्ती मुहम्मद दानिश कासमी, मौलाना फरीदुद्दीन क़ासमी, मुफ्ती इज़हार मुकर्रम क़ासमी, मुफ्ती अजीजुर्रहमान क़ासमी, मौलाना मुहम्मद आमिर क़ासमी, मौलाना मुहम्मद अंजुम मज़ाहिरी, हाफिज मुहम्मद मुम्ताज व जमीअत उलमा के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।