लखनऊ: पर्यावरण से जुड़ी बीमारियां पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करतीं हैं। दोनों की शारीरिक संरंचना का अंतर महिलाओं को विषेश रूप से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, वातावरण में लगातार बढ़ रहे टाक्सिक तत्वों, खाद्य पदार्थाें की विषाक्तता के प्रति कमजोर बनाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के इन सब कारकों का सीधा जुड़ाव इनसे संबंधित बीमारियों से है। महिलाओं पर वातावरण के इन्हीें खतरनाक प्रभावों पर समाजिक चेतना विकसित करने, इससे निपटने के उपायों पर चर्चा करने और वैश्विक स्तर पर हो रहे नवीन अनुषंधानों की जानकारी साझा करने हेतु एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर द्वारा तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

महिलाओं की सेहत पर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव (इम्पैक्ट आॅफ इनवार्यमेंट आॅन वूमेन्स हेल्थ) विषयक इस सम्मेलन का केन्द्रीय राज्य मंत्री, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याणए अनुप्रिया पटेल ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर एमिटी ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशनस् के संस्थापक अध्यक्ष डा. अशोक के चैहान, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के चेयरमैन डा. असीम के चैहान, नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ इनवार्यन्मेंटल हेल्थ साइंसेज एण्ड नेशनल टाक्सिीकोलाजी प्रोग्राम, नार्थ कैरोलीना, यूएसए की निदेशिका डा. लिंडा ब्रिंबम, सीएसआईआर-आईआईटआर, लखनऊ के निदेशक आलोक धवन, एमिटी साइंस, टैक्नोलाजी और इन्नोवेशन फाउंडेशन के प्रेसीडेंट डा. सेल्वामूर्ती, एमिटी लखनऊ परिसर की डीन शोधकार्य, विज्ञान एवं तकनीकि प्रो. कमर रहमान, आईईडब्लूएच की सचिव फराह जाफरी और एमिटी विवि लखनऊ परिसर के प्रति कुलपति सेवानिवृत्त मेजर जनरल केके ओहरी एवीएसएम भी उपस्थित रहे।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा कि, वातावरण के प्रदूषण की वजह से प्रमिवर्ष विश्व में 17 लाख मौतें होती हैं जिनमे से अकेले भारत में 6.17 लाख जीवन काल कलवित होते है। उन्होंने कहा नवीनतम आंकड़ो और परिदृष्य के चलते अब इस समस्या की ओर विश्व का ध्यान आकर्षित हुआ है। उन्होनें कहा भारत में महिलाओं को घर के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर प्रदूषण का शिकार होना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि, घरों में जलने वाले पारंपरिक इंधन से महिलाएं सर्वाधिक प्रभावित होती थीं। इस समस्या पर काम करते हुए हमारी सरकार ने उज्जवला योजना चलाई और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आवहन पर देश के 11 करोण लोगों ने एलपीजी सबसिडी छोड़ दी और वह पैसा उज्जवला योजना के माध्यम से गरीब महिलाओं के जीवन में बदलाव की बयार पहुंची। उन्होने कहा कि, प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में केवल सरकार सफल नहीं हो सकती हम सभी को एक साथ इस मुहिम पर लगना होगा।

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के चेयरमैन डा. असीम चैहान ने कहा कि, विकासशील देश होने के नाते हममे आगे बढ़ने की भरपूर क्षमता है और हम विकास के पथ पर अग्रसर हैं परन्तु यह विकास किन मूल्यों पर और किन बलिदानों के साथ चाहिए हमें तय करना होगा। उन्होने कहा कि, एमिटी हमेंशा एक शोधपरक विश्वविद्यालय रहा है हम सदैव समाजोपयोगी नवोन्मेंषों के साथ समाज में आते रहे है जिससे लोगों का जीवन स्तर ऊचा उठाया जा सके।

एमिटी ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशनस् के संस्थपक अध्यक्ष डा. अशोक के चैहान ने अनुप्रिया पटेल का स्वागत करते हुए कहा कि, माननीय मंत्री एमिटी की पूर्व छात्रा भी रहीं है। उन्होने कहा कि हमारे युवााओं को अपने प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और युवा मंत्री अनुप्रिया जी से प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस प्रकार कड़ी मेहनत और लगन से पूरे विश्व में बदलाव लाया जा सकता है।

स्ममेलन में 20 देशों के 300 से भी अधिक वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और पर्यावरणशास्त्री हिस्सा ले रहे है। सममेलन में तीन दिनो तक प्र्यावरण प्रदूषण पर गंभीर चर्चा और शोधपत्र प्रस्व्तुत किए जाएंगे।