नागपुर: पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने रविवार (26 नवंबर) को नागपुर में कहा है कि नागरिकों के बीच सामाजिक और आर्थिक समानता के लिये कोई भी प्रयास तबतक संभव नहीं हैं जबतक कि कोई भी सरकार वास्तविक अर्थों में धर्मनिरपेक्ष नहीं हो। उन्होंने कहा कि न्याय और सामाजिक शांति की मांग है कि मानव विकास का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाना चहिए और इसे न्यायसंगत बनाना चाहिए। अंसारी यहां एक संगठन – एसोसिएशन फार सोसल एंड इकोनामिक इक्वेलिटी ( एएसईई ) की शुरूआत करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे । पूर्व उप राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र में गरीबी, असमानता, भेदभाव और अस्पृश्यता पर एक स्टेटस रिपोर्ट भी जारी की । इस रिपोर्ट को संगठन के अध्यक्ष तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व चेयरमैन सुखदेव सिंह थोराट ने तैयार किया है ।रिपोर्ट का जिक्र करते हुए अंसारी ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में मानव विकास में देश के अन्य हिस्सों की तरह असमानता है । न्याय तथा सामाजिक शांति की यह मांग है कि मानव विकास न केवल प्राथमिकता के आधार पर हो बल्कि यह न्याय संगत भी हो।

बता दें कि इससे पहले पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने पद से रिटायर होने से पहले दिये एक इंटरव्यू में कहा था कि इस वक्त देश के मुसलमानों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना है।राज्यसभा टीवी पर इंटरव्यू में अंसारी ने भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं, ‘घर वापसी’ और तर्कवादियों की हत्याओं का हवाला देते हुए कहा कि यह ‘‘भारतीय मूल्यों का बेहद कमजोर हो जाना, सामान्य तौर पर कानून लागू करा पाने में विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की योग्यता का चरमरा जाना है और इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात किसी नागरिक की भारतीयता पर सवाल उठाया जाना है ।’’ इसी साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यक्रम में भाग लेने पर भी विवाद हुआ था। पीएफआई पर युवाओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती करने के आरोप लगते रहे हैं।