नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की सजा को माफ करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज केटी थॉमस ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है. राजीव गांधी के हत्यारों को सजा सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच में रिटायर्ड जस्टिस केटी थॉमस भी थे. उन्होंने सोनिया गांधी से अपने पति के हत्यारों की सजा को लेकर उदारता बरतने की अपील की है.

अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर्ड जस्टिस केटी थॉमस ने 18 अक्टूबर को सोनिया गांधी के नाम ये चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने 1991 में हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों का जिक्र किया है.

रिटायर्ड जज ने सोनिया गांधी को लिखा- "अगर आप, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा राष्ट्रपति को इस बारे में लिखे, तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्यारों की सजा में रियायत बरतने को लेकर केंद्र सरकार मंजूरी दे सकती है. आपसे गुजारिश है कि आप अपने पति के हत्यारों की सजा को लेकर उदारता की भावना दिखाएं, क्योंकि ये लोग पहले ही अपनी जिंदगी के कई साल जेल में गुजार चुके हैं."

रिटायर्ड जज ने अपनी चिट्ठी में महात्मा गांधी की हत्या के जुर्म में सजा से मुक्त हुए नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे का भी जिक्र किया. रिटायर्ड जज ने इस केस में 2014 में तमिलनाडु सरकार के उस फैसले का भी जिक्र किया, जिसपर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई थी.

उन्होंने लिखा- "एक जज के तौर पर मेरा ऐसा मानना है कि मुझे इस बारे में आपको कुछ कहना चाहिए, ताकि आप ऐसे केस में उदारता की भावना दिखा सके." रिटायर्ड जज ने राजीव गांधी की हत्या की जांच में सीबीआई से कई बिंदुओ पर गलती होने की बात भी कही है.

रिटायर्ड जज केटी थॉमस ने चिट्ठी में लिखा- "मेरा मानना है कि भगवान आपसे तभी प्रसन्न होते हैं, जब आप किसी को सजा देने के बजाय उसे माफ कर देते हैं. अगर मैंने आपसे (सोनिया गांधी) से कुछ गलत कहा हो, तो मैं माफी चाहता हूं."

बता दें कि 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेंरबदूर में एक धमाके में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत हो गई थी. इस केस में मुरुगन, संथान, पेरारीवालन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को दोषी ठहराया गया था.

रॉबर्ट पायस और जयकुमार को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की सजा उम्रकैद में बदल दी. मुरुगन, संथान और पेरारीवालन ने अपनी सजा-ए-मौत को लेकर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी थी. इसपर फैसला लेने में देरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इन तीनों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.

राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी को भी मौत की सजा मिली थी. लेकिन, 24 अप्रैल 2000 में संविधान के आर्टिकल 161 के जरिए नलिनी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया. 25 साल से भी ज्यादा समय में जेल में बंद नलिनी, दुनिया में सबसे लंबे वक्त तक सजा काटने वाली महिला कैदी है.