बरेली: आधार कार्ड के राशन कार्ड से जुड़े नहीं होने पर राशन नहीं दिया गया, जिससे भूख से एक महिला की मौत हो गई। ये मामला उत्तर प्रदेश के बरेली का है। जहां एक महिला पिछले पांच दिनों से बीमार चल रही थी, महिला को पति जब राशन लेने दुकान पर गया तो दुकानदार ने कहा कि तुम्हारी पत्नी के फिंगरप्रिंट के बिना राशन नहीं मिलेगा। बीमार पड़ी महिला उठकर दुकान तक जाने के लिए सक्षम नहीं थी। रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद महिला की भूख से मौत हो गई। ऐसा यह तीसरा मामला है, इससे पहले दो मामले झारखंड से सामने आए थे। जहां राशन कार्ड से आधार कार्ड लिंक नहीं था, जिसकी वजह से राशन नहीं मिला और एक युवक और एक 11 साल की बच्ची की भूख से मौत हो गई। हालांकि, सरकार ने इसे मानने से इंकार कर दिया कि उनकी मौत भूख से हुई है। साथ ही सरकार ने कहा था कि सभी राशन दुकानों से कहा गया था कि आधार कार्ड नहीं होने पर राशन के लिए मना ना किया जाए।
झारखंड के सिमड़ेगा में भी 11 साल की एक बच्ची की 8 दिन से खाना न मिलने के कारण 28 सितंबर को भूख से मौत हो गई थी। छह महीने पहले बच्ची के परिवार का सरकारी राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था क्योंकि उसे आधार से लिंक नहीं कराया गया था। राइट टू फूड कैंपेन के एक्टिविस्ट्स ने बताया कि संतोषी कुमारी के परिवार को पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत राशन दे दिया जाता तो बच्ची को 8 दिनों तक भूखा नहीं रहना पड़ता। करीमति गांव की रहने वाली संतोषी के परिवार के पास न तो जमीन है, न कोई नौकरी और न ही कोई स्थायी आय है, जिसके कारण उसका परिवार पूर्ण रूप से नेशनल फूड सिक्यूरिटी के तहत मिलने वाले राशन पर ही निर्भर था।
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