भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में आयोजित आईआईटी-दिल्ली के कन्वोकेशन में डाॅ. सुबी चतुर्वेदी को पीएच.डी. की उपाधि दी गई। शनिवार को इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली बोर्ड और आदित्य बिड़ला ग्रुप के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला भी मौजूद थे। आईआईटी दिल्ली में सुश्री चतुर्वेदी का शोध अभूतपूर्व माना जा रहा है। इसे नई मीडिया तकनीक, सोशल मीडिया, राजनीतिक संवाद, ई-सुशासन, समाचार संग्रह, प्रजातंत्र की गहराई और इनका जन-जन के प्रजातंत्र (जिसमें जन-जन की भागीदारी बढ़ाना) और प्रबंधन एवं संवाद (अनुशासन एवं प्रचलन) दोनों पर प्रभाव के आकलन के दृष्टिकोण से बड़ा कदम बताया गया है। वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों और राजनीतिक संवाद में सोशल मीडिया एवं तकनीक के प्रयोग पर यह भारत का पहला बुनियादी अध्ययन है। इसमें डम्। एवं रेल मंत्रालय समेत कई अहम् मंत्रालयों के विस्तृत केस स्टडी हैं और बहुत-से उपयोगी तथ्य सामने आए हैं। मीडिया और सरकार के लिए तकनीक अपनाने का यूनिक माॅडल दिया गया है। साथ ही, देश के एक अरब से अधिक मोबाइल कनेक्शन और 350 मिलियन इंटरनेट ग्राहकों की शक्ति का सही मायनों में सदुपयोग सुनिश्चित करने के लिए सरकार को 24ग्7 रिस्पांसिव बनाने पर जोर दिया गया है।
अध्ययन का विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए खास महत्व है क्योंकि इनमें आज भी दूरंसचार की सुलभता, कनेक्टिीवीटी, डिजिटल साक्षरता और क्षमता विकास गंभीर मसले हैं। अपनी किस्म का यह पहला अध्ययन डाॅ. सुबी चतुर्वेदी ने आईआईटी दिल्ली से पीएच.डी. करते हुए पूरा किया। इसका चुनाव में जाने वाले राजनीतिक दलों और सरकार के लिए विशेष महत्व है।
इसमें एक तकनीकी माॅडल का प्रस्ताव दिया गया है जिसमें जनमानस को प्रभावित करने वाले लोगों के उत्साह को परखते हुए अपनी बात रखने और दिलचस्पी पैदा करने का बेहतर खाका खींचना और संरचनात्मक तरीके से चुनाव कार्य करना आसान होगा। कैम्पेन का बेहतर प्रबंधन होगा। आज जब 180 से अधिक चुनाव क्षेत्रों पर सोशल मीडिया का प्रत्यक्ष प्रभाव है यह आम चुनाव 2019 को लेकर सारा नजरिया बदल सकता है। ट्विटर और सोशल मीडिया पहले ही राजनीतिक दलों के लिए साइबर हथियार बन गए हैं। जनता से तत्काल जुड़ने और उनकी राय जानने के ये बेहतरीन साधन बन गए हैं।