लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें लागू किए जाने के इरादे के मद्देनजर उठ रही आशंकाओं पर विराम लगाने की कोशिश करते हुए कहा है कि इन शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम में बदलाव के पीछे उसका कोई गलत इरादा नहीं है। वह सिर्फ उन्हें दकियानूसी शिक्षा प्रणाली से मुक्त कराना चाहती है। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने ‘भाषा’ से कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार का मदरसों के पाठ्यक्रम के ढांचे में बदलाव लाकर उससे ‘छेड़छाड़’ करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि यह भी एक तथ्य है कि दकियानूसी शिक्षा प्रणाली से किसी व्यक्ति, राज्य या देश का विकास नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि आज के प्रौद्योगिकी के जमाने में मदरसों से कोई इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक या सरकारी अधिकारी नहीं निकल पा रहे हैं। सरकार बस यह सूरत बदलना चाहती है। उसका इरादा है कि मदरसों में रोजगारपरक तथा तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। चौधरी ने कहा कि इस समय मदरसों के पाठ्यक्रम में इतिहास और संस्कृति के बारे में पर्याप्त सामग्री उपलब्ध नहीं है। सरकार इस पाठ्यक्रम में इतिहास, भूगोल और संस्कृत को अतिरिक्त विषयों के रूप में जोड़ने की योजना बना रही है। यह पाठ्यक्रम अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होगा। मालूम हो कि प्रदेश में 19 हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
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