मोहम्मद साजिद खान-

शिक्षा आज प्रयोगों के दौर से गुजर रही है। सीखने की प्रक्रिया का जो भविष्य नजर आ रहा है, उसमें पारंपरिक क्लासरूम के पैटर्न के साथ ऑनलाइन टैक्नोलाॅजी भी शामिल है, ताकि छात्रों को आंशिक रूप से नियंत्रित किया जा सके कि कब, कहां और कैसे सीखें। आज भारत में ऑनलाइन शिक्षा का बाजार 247 मिलियन अमरीकी डालर के बराबर है और इसके 1.96 बिलियन अमरीकी डॉलर की गति से बढने का अनुमान हैय। रिस्किलिंग और ऑनलाइन सर्टिफिकेशन आज का सबसे बड़ा वर्ग है, जबकि परीक्षण की तैयारी 2021 में सबसे तेजी से बढ़ती श्रेणी होगी (वर्तमान में 64 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़ रहा है)।
मोहम्मद साजिद खान (एसीसीए) के अनुसार केंद्रीय बजट 2017 के बाद से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में बहस चल रही है। सरकार ने ‘स्वयम‘ सहित कई उपायों की घोषणा की, एक ऑनलाइन शिक्षण पोर्टल शुरू किया गया, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में सुधार के प्रयास किए गए हैं, एक उच्च शिक्षा नियामक के रूप में उच्च शिक्षा अधिकारिता नियमन एजेंसी (एचईईआरए) का गठन किया गया और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) ने बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) विकसित करने के लिए शैक्षिक संस्थानों को निर्देश दिए हंै।

देश में आमने-सामने सीखने की एक लंबी परंपरा रही है। जाहिर है कि अध्यापक या गुरु को रातोंरात एक अदृश्य, तकनीकी इकाई के साथ नहीं बदला जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य बात है कि कक्षाओं में छात्रों को क्या सिखाया जाता है और उद्योग अपने संभावित कर्मचारियों के रूप में कैसी मांग कर रहा है, इन दोनों के बीच की खाई हर दिन बढ़ रही है। मौजूदा दौर में हम देख रहे हैं कि छात्र शिक्षा प्रणाली में 20 से अधिक वर्षों तक जुटे रहते हैं और आखिर में उन्हें अनाकर्षक रोजगार की संभावनाओं से लाद दिया जाता है।
इसका समाधान ‘मिश्रित शिक्षा‘ में है, एक ऐसी अवधारणा जो भारतीय संदर्भों में तेजी से बढ़ रही है। सरल शब्दों में, यह सिखाने और सीखने का एक मिलाजुला रूप है जिसमें क्लासरूम पैटर्न और ऑनलाइन सीखना दोनों शामिल हैं। इस दृष्टिकोण में अवधारणा निर्माण और जांच-आधारित शिक्षा मिलती है, जो शिक्षा में मानवीय बातचीत को बरकरार रखती है और छात्रों को ऑनलाइन-डिजिटल माध्यमों के साथ पारंपरिक कक्षा तरीकों को जोड़ने की अनुमति देतह है। सीखने की मिश्रित प्रक्रिया पर्सपेक्टिव लर्निंग और अपनी गति से सीखने के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है। यहां ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मिश्रित शिक्षा प्रौद्योगिकी-समृद्ध शिक्षण के बराबर नहीं है। सीखने की मिश्रित प्रणाली किसी भी विद्यार्थी को अपना स्वयं का शिक्षण विकास का मार्ग चुनने की स्वायत्ता देती है और तकनीक का उपयोग केवल एक संयोजक के रूप में किया जाता है।

सीधे शब्दों में कहें तो यह छात्रों और शिक्षकों के लिए एक जीत की स्थिति है। चूंकि प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग जानकारी को आत्मसात करता है, इसलिए ऑनलाइन शिक्षण का उद्देश्य विशिष्ट हितों के साथ सीखने के लिए अधिक से अधिक बेहतर और बेहतर विकल्प उपलब्ध कराना है। स्वचालित प्रणाली शिक्षक को औपचारिक शिक्षा के दबाव से मुक्त करती है, साथ ही साथ छात्रों को ज्ञान के समंदर में डुबकी लगाने की अनुमति भी देती है और जो क्लासरूम निर्देश के साथ खत्म नहीं होती है।

मिश्रित शिक्षा व्यावहारिक और अनुभव जनित शिक्षण की संभावना पैदा करती है, जहां छात्र अपनी गति से सीख सकते हैं – जानकारी की गति और जटिलता के मामले में भी। ऑनलाइन सीखने के प्लेटफार्मों से डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से शिक्षकों को एक विशेष व्यक्ति को सिखाने के लिए एक लक्षित दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलती है और इस तरह छात्रों को बेहतर ढंग से सीखने में मदद करने के लिए समय पर डेटा का उपयोग किया जा सकता है।

संक्षेप में, मिश्रित शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य नीतियों, प्रशासकों और छात्रों को परेशान करने वाली समस्याओं को हल करना है। जबकि कई शिक्षाविदों ने इस अनूठी शिक्षा को अपनाया है, तो हम यह उम्मीद लगा सकते हैं कि एक दशक के समय में मिश्रित शिक्षा एक अपवाद के बजाय आदर्श हो जाती है। इसके श्रेय के लिए, भारत सरकार ऑनलाइन शिक्षा को औपचारिक रूप दे रही है, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए विनियामक मान्यता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है और विश्वविद्यालयों को अपना स्वयं का ऑनलाइन पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। भविष्य के मिश्रित शिक्षा प्रणाली में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की शक्ति का लाभ उठाया जा सकता है और क्लासरूम प्रणाली से बचने वाले समय का उपयोग इंटरैक्टिव सहयोग और चर्चा, परीक्षण और समस्या हल करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही इस पर भी चर्चा की जा सकती है कि भारत की परंपरागत कक्षा प्रणाली के लोकाचार को बनाए रखते हुए शिक्षा को पुनर्परिभाषित कैसे किया जा सकता है।