लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में दो दर्जन स्थानों को ईको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करेगी। इसके लिए जल्द ही पर्यटन विभाग और वन विभाग के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे। यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की अध्यक्षता में मंगलवार की शाम लोक भवन में हुई कैबिनेट की बैठक में किया गया।
उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि ईको टूरिज्म वाले स्थानों पर रहने और खाने की उचित व्यवस्था करने के लिए करीब सौ करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा। इस खर्च के लिए भविष्य में विधानमंडल के सत्र में दोनों सदनों से पारित कराए जाने वाले सप्लीमेंटरी बजट में प्रावधान किया जाएगा।
फैसले के अनुसार प्रदेश में कुल दो दर्जन ईको टूरिज्म सेंटर विकसित होंगे। जिनमें पहले चरण में नौ ईको टूरिज्म सेंटर विकसित किए जाएंगे। ये उन स्थानों के आसपास होंगे जहां पर्यटक पहले से आते हैं। इससे वे प्रमुख स्थानों के साथ-साथ आसपास भी घूम और रुक सकेंगे।

लखनऊ में कुकरैल पिकनिक स्पाट सेंटर और उन्नाव में नबावगंज बर्ड सेंचुरी को ईको पिकनिक स्पाट के रूप में विकसित किया जाएगा। जिससे अवध घूमने आने वाले पर्यटक यहां भी रुक सकें।

इसी तरह बुंदेलखंड में चरखारी, पश्चिमी यूपी में आगरा में सूरताल (कीठम झील), पूर्वांचल में बनारस में सोनभद्र और मिर्जापुर में भी ईको टूरिज्म सेंटर विकसित होंगे। सोनभद्र में राक पेंटिंग को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

दुधवा नेशनल पार्क के आसपास के इलाके में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वहां की बंद पड़ी हवाई पट्टी को दोबारा शुरू कराया जाएगा। जिससे पर्यटक सीधे वहां हेलीकाप्टर या छोटे विमानों से उतर सकें। इस तरह पूरे प्रदेश में करीब दो दर्जन स्थानों को विकसित किया जाएगा। वहां ठहरने के लिए अतिथि गृह या हट बनवाई जाएंगी।

कैबिनेट ने इलाहाबाद के चांद खम्हरिया में काला हिरन संरक्षण जोन बनाने का फैसला किया है। इस क्षेत्र में काले हिरनों का लालन-पालन किया जाएगा।