लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों तथा इस्लामी शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण (एनसीईआरटी) की किताबें पढ़ाने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा, मदरसों में एनसीईआरटी किताबों से पढ़ाई होगी। उन्होंने कहा, आधुनिक विषयों के साथ स्कूलों के संग बराबरी कर पाएंगे, आलिया स्तर पर गणित और साइंस अनिवार्य होगी। उन्होंने केहा कि राज्य मदरसा बोर्ड विद्यार्थियों को सीबीएससी स्कूलो में पढ़ाये जा रहे एनसीईआरटी कोर्स के तहत चयनित किताबों को पढ़ाये जाने की तैयारी में जुट गया है।

शर्मा ने कहा कि मदरसा स्कूलों में गणित तथा विज्ञान की पढ़ाई को अनिवार्य किये जाने की तैयारी की जा रही है। सरकार से हरी झंडी मिलते ही मदरसा बोर्ड एनसीईआरटी की किताबें शामिल करेगा। उत्तर प्रदेश के दो हजार से ज्यादा सरकारी मदरसों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मदरसों में उच्चस्तर की पढ़ाई की जायेगी।

उन्होंने बताया कि सरकार ने मदरसों में पाठ्यक्रम को सुधारने के लिए एक 40 सदस्यीय समिति बनायी थी। समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार पढ़ाई के स्तर को सुधारने के स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान अनिवार्य कर सकती है।

इस बीच, मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार राहुल गुप्ता ने कहा कि जल्द ही मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने कहा कि हिंदी और अंग्रेजी को छोड़कर मदरसों में अन्य विषयों की सभी किताबें उर्दू में होंगे, जिनमें गणित और विज्ञान शामिल हैं।

प्रदेश सरकार ने 2017-18 के लिए राज्य के बजट में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए लगभग 1700 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। मान्यता प्राप्त मदरसों और प्राथमिक विद्यालयों में आधुनिक शिक्षा देने के लिए सरकार ने 394 करोड़ रुपये की राशि मंजूर किये है। शिक्षा विभाग द्वारा मानको को पालन नही किये जाने के कारण सरकार ने सितम्बर में राज्य के 46 मदरसों को अनुदान दिये जाने पर रोक लगा दी थी।