लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने बसपा सुप्रीमों के बयान को कुण्ठा और अवसाद से ग्रसित बताया। प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने कहा कि बहिन जी कुछ छोड़े या न छोड़े उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए। जिससे प्रदेश में जातिवादी और टिकट विक्रय की राजनीति का अंत होगा।

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि दिनों दिन घटते जनाधार से बसपा सुप्रीमों अवसाद का शिकार होकर कंुठित हो चुकी है। राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। ऐसे में दरकते अशियाने को सहजने में फिर घृणित जातिवादी राजनीति का राग अलाप रही है। दर असल मायावती जी को दलितों से कभी हमदर्दी नहीं रही। दलितों को वोटबैंक बनाकर उनके वोटों का सौदा करके अपनी तिजोरी भरने वाली मायावती चुनावी मौसम में अपने महल से निकलती है और दलित प्रेम का प्रदर्शन करती हैं।
बहिन जी का मुख्यमंत्रित्वकाल और उसके बाद बुआ-भतीजे के संयुक्त प्रयत्नों ने प्रदेश को दलित उत्पीड़न का केन्द्र बना दिया था। मोदी जी के नेतृत्व में देश और योगी जी के नेतृत्व में प्रदेश प0 दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय पथ पर चलकर दलित, वंचित, शोषित वर्ग के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक उत्थान के अपने दायित्व को पूरा कर रहा है।

लोकसभा चुनाव 2014 और विधानसभा 2017 के परिणामों ने बसपा सुप्रीमों की नीतियों पर कुठाराघात किया है। अब बहिन जी को टिकटों के खरीददार भी नहीं मिल रहे है। बसपा से निकले लोगों की अनुसार बहिन जी का मानना है कि दलितों का जितना उत्पीड़न होगा उतना ही बीएसपी का वोट मजबूत होगा लेकिन अब दलित वर्ग की खुशहाली से बहिन जी व्यथित है। निकाय चुनाव की सरगर्मी से आलीशान महल से निकली बसपा सुप्रीमों अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की आखिरी कोशिश में छटपटा रही है। दलित वर्ग पूरी तरह से भाजपा के साथ है। अब ऐसे में बहिन जी कुछ छोडे या न छोड़े परन्तु राजनीति छोड़कर उ0प्र0 में जातिवादी, तुष्टीकरण और टिकिट विक्रय में महती भूमिका निभा सकती है। मायावती जी को बसपा के संस्थापक सदस्यों ने अकेला छोड़ दिया है। जनता ने भी लोकसभा व विधानसभा के चुनावों के मायावती जी का साथ छोड़ दिया। सदन की सदस्यता उन्होंने स्वयं छोड़ दी है, सभी के साथ छोड़े जाने से बैचेन मायावती जी राजनीति छोड़कर लोकतंत्र को मजबूत कर सकती है। प्रदेश में विगत 14 वर्षो के आपराधिक आंकड़ो के अध्ययन से बहिन जी को वास्तविकता समझ आ जाएगी।