नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख़ों का एलान हो चुका है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही अपनी अपनी ओर से पूरी तैयारी कर ली है और अब चुनाव प्रचार पूरे ज़ोर पर है. इस बीच पार्टियों में अंदरूनी खींचतान भी चल ही रही है. कांग्रेस नेता अनिल शर्मा ने इसी बीच भारतीय जनता पार्टी में जाने का फैसला कर लिया है.

इसको लेकर जहां मीडिया में कांग्रेस की अंदरूनी कलह की चर्चा हो रही है वहीँ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस बात से बिलकुल भी हैरान नहीं हैं. वरिष्ट कांग्रेस नेता ने साफ़ कह दिया है कि वो इससे बिलकुल भी परेशान नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें पहले ही मालूम था कि ऐसा होने वाला है और उन्होंने इसे किसी भी तरह से बड़ा ख़तरा नहीं माना है.

पत्रकारों से बातचीत में वीरभद्र सिंह ने अनिल शर्मा को एक जूनियर लीडर क़रार दिया और कहा कि ये कोई झटका नहीं है. उन्होंने बताया कि सुखराम परिवार पहले भी अलग पार्टी बना चुके हैं. सूत्रों से मिली ख़बर के मुताबिक़ मुख्यमंत्री ने साफ़ कर दिया है कि जो साथ में हैं उन्हीं के बल पर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे.

कांग्रेस के रणनीतिकार भी अब इस बात पर पूरा फोकस कर रहे हैं कि कैसे राज्य में दुबारा चुनाव जीता जाए. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गुरदासपुर लोकसभा सीट जीतने के बाद सुनील जाखड़ को बधाई दी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी इतिहास लिखा जा रहा है.

राज्य में कांग्रेस सरकार को लेकर कोई विशेष नाराज़गी यूँ तो नज़र नहीं आ रही है. पूरा चुनाव समीकरण की जंग हो गया है और जो समीकरण बनाने में कामयाब हो जाएगा, जीत उसी की होगी. जानकारों के मुताबिक़ वीरभद्र सिंह इस चुनाव में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते और कमान पूरी तरह से अपने ही हाथ में रखे रहना चाहते हैं.