इलाहबाद: इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय बहुचर्चित आरुषि और हेमराज हत्याकांड में अपना फैसला फैसला सुनाया। अदालत ने नुपुर व राजेश तलवार की अपील मंजूर कर ली है। हाई कोर्ट ने सीबीआई अदालत का आदेश पलटते हुए आरुषि-हेमराज मर्डर केस से दोनों को बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि परिस्थितियां और मौजूद सबूतों के आधार पर तलवार दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए ‘शक का लाभ’ देते हुए दोनों को बरी कर दिया गया। सीबीआई अदालत द्वारा दोषी करार दिए डेंटिस्ट दंपति राजेश और नुपुर तलवार ने फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दाखिल की थी। तलवार दंपति अभी गाजियाबाद की डासना जेल में बंद है। 29 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद नुपुर कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा की गई थी। सीबीआई कोर्ट ने नवंबर 2013 में तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अपील पर न्यायमूर्ति बी.के. नारायण एवं न्यायमूर्ति ए.के. मिश्र की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हो रही है। इससे पहले, अदालत ने 11 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षा कर लिया था। हालांकि बाद में अदालत ने सीबीआई की कुछ दलीलों में विरोधाभास पाते हुए सुनवाई को फिर से शुरू करने का फैसला किया। फिर अदालत ने अपना फैसला 12 अक्‍टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया।

14 साल की आरुषि तलवार की लाश 16 मई, 2008 की सुबह नोएडा के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल-132 में मिली थी। उसका गला रेता गया था। घर के नौकर हेमराज, जिसपर शुरुआत में हत्‍या का शक था, की लाश अगले दिन फ्लैट की छत पर मिली थी। छत का दरवाजा भीतर से बंद था। इस हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच एक जून को सीबीआई को सौंप दी गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तलवार दंपति शुक्रवार को गाजियाबाद की डासना जेल से रिहा होंगे। सीबीआई के वकील ने फैसले के बाद कहा कि वह फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद ही कोई टिप्‍पणी कर पाएंगे।