लखनऊ 08 अक्टूबर 2017, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन श्री सुनील बंसल ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में आयोजित राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्रीय एकीकरण में युवाओं की भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत माता का वंदे मातरम का नारा गले से नहीं दिल से लगाना चाहिए नाराज जब हृदय से निकलेगा तब अंतर्मन की गूंज बनेगी और तब भारत माता की सही मायने में जय होगी।
श्री बंसल एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन साइंस एंड डेवलपमेंट के 22 वें स्थापना दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, कार्यक्रम में बोलते हुए श्री बंसल ने कहा कि स्वाधीनता के बाद से ही राष्ट्र निर्माण हुआ राष्ट्र पुनर्निर्माण को लेकर देश में बहस शुरु हो गई उन्होंने कहा कि लाखों युवाओं के बलिदान के बाद भारत स्वाधीन हुआ अंग्रेजों ने यह भी अवधारणा स्थापित करने की कोशिश की कि भारत कई राज्यों को मिलाकर भारत राष्ट्र बना परंतु हमारी संस्कृति और परंपराओं की मूल अवधारणा हमारे यहां घी दूध की नदियां बहा करती थी उसी को साकार करना राष्ट्र निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपुर्नर्निमाण के लिए आवश्यक है राष्ट्रबोध का बोध बढे़ एक जन, एक राष्ट्र एक संस्कृति का बोध बढ़े, यह पहली शर्त है। व्यक्ति के निर्माण से राष्ट्रनिर्माण। व्यक्ति में संस्कार निर्माण के लिए परिवार, गुरूकुल, मंदिर आदि संस्थाओं का योगदान अहम है। व्यक्ति निर्माण के विभिन्न आयाम है। व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है।

श्री सुनील बंसल ने कहा कि दुनिया में हम भारत के ब्रांड अंबेसडर बने दुनिया के किसी भी देश में हम चाहे इंजीनियर डॉक्टर एवं वैज्ञानिक बनकर जाएं वहां हम भारतीय कला संस्कृति एवं अपनी योग्यता से भारत के ब्रांड एंबेसडर बने।

श्री बंसल ने कहा कि आज वैश्वीकरण के इस दौर में जब पूरी दुनिया एक मोबाइल में सिमट गई है देश के युवाओं को इस बात पर विचार करना होगा कि मैं एक अच्छा मनुष्य कैसे बनू देश का अच्छा नागरिक कैसे बने इसके लिए देश की आवश्यकता के आधार पर अपना कैरियर बनाने की आवश्यकता है हम जैसे होंगे वैसा ही भविष्य अपने देश भारत का होगा।

श्री बंसल ने कहा कि आज फिर से देश में सामाजिक पुनर्रचना की आवश्यकता महसूस हो रही है प्राचीन समय में समाज की व्यवस्था जाति के आधार पर नहीं बल्कि कर्म के आधार पर बनाई गई थी परंतु आज जन्म के आधार से जुड़ गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि माइक्रोसाफ्ट जैसी शीर्ष कम्पनी का मुख्य कार्यकारी यहाँ अध्यात्म जानने समझने आ रहा है। यह हमारी संस्कृति का वैशिष्ठय है। पूरी दुनिया में भारतीय युवा प्रतिभाओं ने अपनी मजबूत उपस्थित दर्ज कर रखी है। यह हमारी संस्कृति है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपुर्नर्निमाण वर्तमान की आवश्यकता है। जाति-पांति वर्ग आदि पर आधारित सोच को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने का समस्यांए बहुत है समाधान कैसे होगा। श्री बंसल ने वर्तमान की समस्याओं के समाधान लिए 05 आयामों पर कार्य करने का जोर दिया (1)व्यवस्था का भारतीयकरण – उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था तथा प्रशासनिक व्यवस्था अंगे्रजो के काल से चली आ रही है। (2)व्यक्ति निर्माण (3) राष्ट्रीयता का बोध (4)परिवर्तन स्वयं से घर से (4) और सबसे महत्वपूर्ण आयाम हम सबको ”माई कन्ट्री माई कैरियर” स्वामी विवेकानन्द के स्लोगन को आत्मसात करना होगा।

श्री बंसल ने कहा कि जब समाज बदलाव लाना चाहता है बदलाव साकार होता है उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से देश में लोगों के मन से निराश व कुंठा समाप्त हुई है। उन्होंने कहा कि आज युवा पं0 दीनदयाल उपाध्याय के अन्त्योदय अन्तिम व्यक्ति की खुशहाली के लिए योजना पर कार्य करने के लिए युवा आगे आये। जो राष्ट्र पुर्ननिर्माण को साकार करेंगी।