लखनऊ: प्रदेश सरकार की सब्सिडी वाली सभी योजनाएं अब आधार से लिंक होंगी। यही नहीं अब संविदा पर रखे जाने वाले सभी कर्मचारियों का बैंक खाता आधार से जुड़ेगा और उसी में उनका मानेदय भेजा जाएगा।

यूपी सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को यह जानकारी कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की अध्यक्षता में शाम पांच बजे कैबिनेट की बैठक हुई।

कैबिनेट के एक अन्य फैसले के मुताबिक प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के करीब एक करोड़ 48 लाख बच्चों को आगामी नवंबर में जूता-मोचा और स्वेटर देने का फैसला लिया गया है। इस पर चालू वित्तीय वर्ष में 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

इसके अतिरिक्त योगी सरकार ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना नाम से नई योजना शुरू करने का फैसला किया है। इस फैसले पर मंगलवार को कैबिनेट बैठक में मंजूरी की मुहर लगाई गई। इसका लाभ गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को मिलेगा।

सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कुछ विभाग विवाह के लिए व्यक्तिगत आधार पर मदद की योजना चलाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना एक अलग योजना है। इसके तहत यह देखा जाएगा कि किन-किन को इसका लाभ मिल सकता है। विवाह के लिए युवती की उम्र सीमा न्यूनतम 18 साल और युवक की 21 साल ही रहेगी। अधिकतम कोई सीमा नहीं होगी। इस योजना का लाभ सभी लोग उठा सकेंगे। इसके तहत सामान्य लोगों के अलावा अंतरजातीय, अंतरधर्मीय तलाकशुदा और विधवाओं के विवाह भी कराए जा सकेंगे।

प्रवक्ता ने बताया कि सामूहिक विवाह के आयोजन के लिए कम से कम दस जोड़े होने जरूरी होंगे। हर नवविवाहित जोड़े के विवाह पर सरकार की ओर से कुल खर्च 35 हजार रुपये का किया जाएगा। जिसमें 20 हजार रुपये उसके बैंक खाते में जमा कराए जाएंगे जबकि 15 हजार रुपये में खाने व सामान आदि का खर्च शामिल रहेगा। सामान के रूप में नवविवाहित जोड़े को कपड़े, बर्तन, मोबाइल दिए जाएंगे। दुल्हन को पायल और बिछिया भी दी जाएगी।
समाज कल्याण विभाग योजना का नोडल महकमा होगा। सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम, जिला पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों द्वारा कराया जाएगा। एनजीओ भी सामूहिक विवाह का आयोजन करा सकती हैं। विवाह से पहले विवाह करने वालों के बारे में सारी जानकारी की जाए।

इसके अलावा प्रदेश में मिट्टी के तेल के फुटकर विक्रेताओं को सन 1994 में एक बार में लाइसेंस देने की व्यवस्था की गई थी, पर इस बारे में कानून में संशोधन अब 2017 में कैबिनेट की बैठक के बाद जारी हो सका है।