नई दिल्ली: गुजरात में दिसंबर महीने के पहले हफ्ते में विधासभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में सभी दलों ने चुनाव जीतने के लिये तैयारियां शुरु कर दी हैं. कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने गुजरात दौरा किया था. इस दौरान वे किसानों-व्यापारियों से मिले और जीएसटी-नोटबंदी सहित कई मुद्दों पर बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा.

वहीं अमित शाह ने भी विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर अपने 150+ सीटें जीतने के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिशें शुरू कर दी. गुजरात में बीजेपी 1995 से सत्ता में काबिज हैं. प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद पहले आनंदीबेन पटेल और अब विजय रुपाणी को सीएम बनाया गया है.

बीजेपी का दावा है कि इस बार के चुनाव में वो तमाम पुराने रिकॉर्ड तोड़ देगी. लेकिन राजनीति के हवा के रुख को पहले से भांपने वाले शरद पवार को लगता है कि इस बार गुजरात में तस्वीर पलट सकती है. यहां पर बीजेपी हार सकती है. इसके लिए कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को सही रणनीति के साथ मिलकर चुनाव लड़ने और पूरी ताकत लगाने की जरूरत है.

शरद पवार ने एक न्यूज़ चैनल के सवाल पर कहा, 'गुजरात में बीजेपी को हराने का सुनहरा मौका है.' गुजरात में कांग्रेस के साथ एनसीपी गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहती है. लेकिन अब तक दोनों दलों के बीच आधिकारिक रूप से गठबंधन के लिए बातचीत शुरु नहीं हुई है.

सुत्र बता रहे हैं कि जल्द दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत शुरु हो सकती है. जानकारों की मानें तो लगातार 5 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाली बीजेपी के लिये इस बार रास्ता कठिन है.

उनका कहना है कि बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकमबेंसी हैं. बेरोजगारी, किसान खुदकुशी, महंगाई के मुद्दे पर देश के अन्य हिस्सों की तरह गुजरात के लोगों में भी नाराजगी है. पाटीदारों के आंदोलन की वजह से बीजेपी की चिंताएं पहले से ही बढ़ी हुई हैं.

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने पिछले दिनों ट्वीट कर राहुल गांधी के गुजरात आने पर स्वागत किेया था. इससे संकेत गया है कि पाटीदार इस बार कांग्रेस के साथ जा सकते हैं.

पवार की मानें तो गुजरात विधानसभा चुनाव में अगर बीजेपी की हार होती हैं तो 2019 लोकसभा चुनाव में विपक्ष के इरादों को बल मिलेगा. लोगों में बड़ा संदेश जाएगा. साथ ही मोदी को हराने के लिये रास्ता भी खुलेगा.