लखनऊ: औपचारिक विदाई परेड की सलामी ले लेने के बाद डीजीपी सुलखान सिंह को तीन महीने का सेवा विस्तार मिल गया। वह शनिवार को रिटायर होने वाले थे। केंद्र सरकार ने अपने इस फैसले की जानकारी देर शाम प्रदेश सरकार को दी। इससे पहले पूर्व डीजीपी एके जैन को भी विदाई परेड के बाद सेवा विस्तार का आदेश प्राप्त हुआ था।

सुलखान सिंह प्रदेश के दूसरे ऐसे डीजीपी हैं, जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले आखिरी दिन विदाई परेड लेने के बाद सेवा विस्तार दिया गया। सुलखान सिंह पुलिस महकमे में साफ छवि के लिए जाने जाते हैं। उनके सेवाकाल में प्रदेश में पिछले कई दिनों से पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है, जिसमें करीब 19 इनामी बदमाश मारे जा चुके हैं। सुलखान सिंह की इसी कार्यशैली और स्वच्छ छवि से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने उनके सेवा विस्तार के लिए केंद्र को पत्र भेजा था।

इससे पहले 31 मार्च 2015 को एके जैन को सेवा विस्तार दिया गया था। इससे पहले श्रीश चंद्र दीक्षित सेवानिवृत्ति के बाद 15 दिनों तक डीजीपी रहे थे लेकिन उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला था। उन्हीं के साथ तत्कालीन मुख्य सचिव को भी सेवा विस्तार दिया गया था। वैसे आईजी डीसी पाण्डेय को केंद्र ने एक साल के लिए सेवा विस्तार दिया था।

डीजीपी सुलखान सिंह ने शुक्रवार को लखनऊ पुलिस लाइंस में आयोजित औपचारिक विदाई परेड की सलामी ले ली थी। इस मौके पर यूपी पुलिस के जज्बे की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसका मुखिया होना उनका सौभाग्य है। परंपरागत विदाई के लिए पुलिस लाइंस में भव्य रैतिक परेड का आयोजन सुबह 8 बजे किया गया था। परेड में पीएसी, पुलिस, महिला पुलिस व यातायात की टुकड़ियां थीं जिसकी प्रथम कमांड पुलिस अधीक्षक सुरक्षा शैलेश कुमार पाण्डेय और द्वितीय कमाण्ड पुलिस अधीक्षक नगर अनुराग वत्स थे। रैतिक परेड का पुलिस डीजीपी की ओर से मान प्रणाम ग्रहण करने के बाद परेड का निरीक्षण किया गया। इस दौरान उनके साथ में एडीजी पीएसी आरके विश्वकर्मा, एडीजी लखनऊ जोन अभय कुमार प्रसाद व आईजी रेंज जेएन सिंह भी थे।

परेड की सलामी लेने के बाद अपने संबोधन में डीजीपी ने यूपी पुलिस में अपनी 33 वर्ष की सेवाओं को याद किया। उन्होंने कहा कि मैं इस सम्मान से अभिभूत हूं और यहां आए हुए सभी पुलिस अधिकारियों को हृदय से बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि आप सभी पुलिस की गरिमा को बनाएं रखें ताकि लोगों का हमारे प्रति भरोसा कम न हो। डीजीपी ने कहा कि यूपी पुलिस का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। इसने हर विधा में देश के हर राज्य की पुलिस को रास्ता दिखाया है और हर चुनौती का सामना किया। वर्ष 1990 से 1993 तक आतंकवाद के दौर का भी इसने डट कर मुकाबला किया। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसी फोर्स का मुखिया बनने का अवसर प्राप्त हुआ। कोई भी अधिकारी तभी कामयाब हो सकता जब उसके अधीनस्थ साथ दें। उन्होंने बताया कि वर्ष 1984 में एक मुठभेड़ के दौरान उनके स्टेनगन की मैगजीन निकल गई, उस वक्त उनके जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया था लेकिन अधीनस्थ कर्मचारियों ने डकैतों से कड़ा मुकाबला किया। उन्होंने विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के प्रति भी आभार व्यक्त किया।