आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि जब शैतान ने अल्लाह तआला के हुकुम की नाफरमानी की और हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का ताज़ीमी सजदे से इंकार किया तो अल्लाह ने उसे अपनी बारगाह से निकाल दिया। शैतान तौबा व इस्तगफार करने के बजाए नाफरमानी पर उतर आया और आदमीयत का खुला दुशमन बन गया। जैसा कि अल्लाह ने फरमाया, ‘‘बेशक शैतान तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है।‘‘
अब सवाल पैदा होता है कि शैतान, जिसे अज़ाज़ील कहा जाता था, जो पहले बहुत ही नेक, मुतक्की, परहेज़गार, आबिदो-ज़ाहिद और फरिश्तों को हिदायत देने वाला था और खुदा की बारगाह से मरदूद होने के बाद तमाम इंसानों का दुश्मन और गुमराह हो गया, आखिरकार उसको किसने गुमराह किया। उसका दुश्मन कौन है? हकीकत यह है कि करोड़ो-अरबों को गुमराह करने वाला शैतान को खुद उसके घमण्ड, गुरूर, नबी से अपने आपको बड़ा समझना ने की गलती ने उसे गुमराह किया। वह अज़ाज़ील जिसे फरिश्ते झुला झुलाते थे।, वह अपनी मैं में हारा। वह अज़ाज़ील से शैतान बन गया। सिर्फ नबी की नाफरमानी से। उसे जन्नत से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यानि नबी से नाफरमानी करने वाला चाहे जन्नत में हो या बाहर उसका ठिकाना जहन्नम है। अब बात करें कर्बला की, जहां यजीदी फौजें आले नबी के सामने खड़ी थी, जिसकी सिपाहसालारी इब्ने ज़ियाद कर रहा था अपने आका यज़ीद के हुक्म से। यहां भी यज़ीदी फौजे अपनी मैं, गुरूर, घमण्ड इब्लीसी सिफातों के साथ मौजूद थी। इनका भी विरद लाइल्लाह इल्ललाह था। मगर इंकार आले नबी की अज़मत से था। हुकुमत के गुरूर ने इन्हें अंधा कर दिया। मगर बताओं मुसलमानों यज़ीदियों का विरद लाइल्लाह इल्ललाह इनके कितना काम आयेगा। नबी और आले नबी की गुस्ताखी करने के बाद तुम जितना भी अल्लाह की इबादत करों, वह तुम्हारे मँुह पर मार दी जायेगी। हज़रत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपनी गर्दन का न्योछावर करने से पहले ही जन्नती नवजवानी के सरदार हो गये। और यह बज़ाहिर जंग जीतकर करके भी खाली हाथ रह गये। न दुनिया मंे इन्हें कुछ मिला न ही इंशाअल्लाह इन्हें आखिरत में कुछ मिलेगा। यजीदियों ने खुद अपना ठिकाना तलाश कर लिया। किसी ने क्या खूब कहां है ‘‘अल्लाह जब दीन लेता है तो अक्ले छीन लेता है।’’ इस अज़ीम शहादत का सलाम करते हुए हुज़ुर शैखुल इस्लाम सैयद मोहम्मद मदनी अशरफी जिलानी किछौछवी फरमाते हैं ‘‘ऐ हुसैन इब्ने अली तेरी शहादत को सलाम, दीने हक़ अब न किसी दौर मंे तन्हा होगा। हम इमान हुसैन के सच्चे पैराकार होने का दावा करे तो सबसे पहले नफस को अपना दुशमन माने और इमान हुसैन की सीरत पर अमल करके दिखाए, तभी हमारा दावा सच्चा माना जायेगा।