गोरखपुर: एक छात्रा के संग छेड़खानी से जुड़े मसले पर विवादों से घिरे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वाइस-चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी एक और विवाद से घिरते नजर आ रहे हैं। गिरीश चंद्र त्रिपाठी पर विश्वविद्यालय में नियुक्ति करने का अधिकार खत्म होने से करीब एक दिन पहले कई अहम नियुक्तियां करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जीसी त्रिपाठी ने यौन उत्पीड़न के दोषी पाए गये एक प्रोफेसर की भी नियुक्ति को मंजूरी दी है। जीसी त्रिपाठी ने मंगलवार (26 सितंबर) को विश्वविद्यालय की एक्जिक्यूटिव काउंसिल (ईसी) की बैठक में इन नियुक्तियों को मंजूरी दी। वीसी जीसी त्रिपाठी का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म होने वाला है। मानव संसाधन मंत्रालय के आदेश के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वीसी अपने कार्यकाल के आखिरी दो महीनों में कोई भी नियुक्ति हीं कर सकते। केंद्र सरकार के नियमानुसान जीसी त्रिपाठी बुधवार (27 सितंबर) से बीएचयू में कोई नियुक्ति नहीं कर सकेंगे।

जीसी त्रिपाठी ने ओपी उपाध्याय को बीएचयू परिसर में स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल का मेडिकल सुपरिटेंडेंट नियुक्त किया है। ईसी की बैठक में एक सदस्य ने उपाध्याय की नियुक्ति पर सवाल उठाया क्योंकि फिजी की एक अदालत उपाध्याय को यौन उत्पीड़न का दोषी करार दे चुकी है। सूत्रों के अनुसार इस सदस्य ने ईसी की बैठक में कहा कि वीसी त्रिपाठी उपाध्याय के खिलाफ जाँच कराने के बजाय उनकी नियुक्ति को नियमित करने की सिफारिश कर रहे हैं। ईसी के एक सदस्य ने इंडियन एक्सप्रेस को नाम न देने की शर्त पर बताया, “ईसी की बैठक में हुई चर्चा के सार्वजनिक होने पर ही ये साफ हो पाएगा।” सूत्रों के अनुसार ईसी की बैठक में उपाध्याय की नियुक्ति पर सवाल उठा लेकिन बाकी नियुक्तियों पर कोई आपत्ति नहीं की गई। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ईसी निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था होती है। विभिन्न विभागों और संस्थानों में नियुक्ति के लिए चयन समिति द्वारा चुने गये सदस्यों पर अंतिम मुहर ईसी ही लगाती है। यूनिवर्सिटी का वीसी चयन समिति और ईसी दोनों का प्रमुख होता है।