लखनऊ: आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने मोहर्रम के मौके पर कहा कि इस्लाम को समझना है तो कर्बला को पहले समझो, कर्बला ईस्लाम का सच्चा आईना है। ईस्लाम को कर्बला के बगैर नहीं समझा जा सकता। मिसाल के तौर पर कुरआन की एक आयत है जिसका तजुर्मा ‘‘ऐ ईमान वालो मदद तलब करो, सब्र और नमाज़ से, बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है। इस आयत की सही अक्कासी अगर आपको देखना है तो ईमाम हुसैन केे किरदार को देखें। कर्बला में अपने 72 साथी आपके सामने शहीद होते रहे, जिसमें साथियों के साथ-साथ आपका कभी भाई, कभी भांजा, कभी भतीजा यहां तक की आपकी अपनी औलाद और खुद को भी शहीद करवाकर सब्र का दामन नहीं छोड़ा और सजदे में शहीद होकर आपने नमाज़ का दामन भी नहीं छोड़ा। आज भी 1400 साल गुजर जाने के बावजूद दुनिया के सारे मुसलमान ईमाम हुसैन के नाम पर लब्बैक कह रहे हैं। आज यज़ीद का नाम लेवा कोई नहीं, अगर कोई ले तो हमें लड़ना नहीं चाहिए बल्कि समझना चाहिए कि यह यज़ीदी मिज़ाज रखता है और इसका तालल्लुक कहां से है। मैं यहां यह कहना चाहंूगा कि कुरआन की आयत हो या रसूल की हदीस अगर इसे समझना है तो ईमान हुसैन को समझे बगैर यह मुमकिन नहीं।

जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि दुनिया जिस दहशतगर्दी से जूझ रही है, जिसका हल हिन्दुस्तान से लेकर अमेरिका तक ढूढ़ने रहा है लेकिन अभी भी कामयाबी हासिल नहीं हुई है। अगर हम सब सिर्फ ईमान हुसैन की सीरत पर चले तो सारी दुनिया से दहशतगर्दी नेस्तानाबूद हो जायेगी। ईमाम हुसैन ने 1400 साल पहले यज़ीदी फिक्र को जिस तरह खत्म किया था, यह दुनिया के लिए आज भी मशअले राह है। इस पर किसी शायर ने क्या खूब कहा ‘‘कत्ले हुसैन ही असल में, मरगे यज़ीद है। ईस्लाम ज़िन्दा होता है, हर कर्बला के बाद। ईमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान मंे पूरी अहले ईस्लाम को यह दरस दिया कि किसी की जान लेना कामयाबी नहीं बल्कि दीने शरीअत पर जान देना कामयाबी है। इसीलिए जान लेने वाली जमात को हिज़्बुल मुजाहीदीन कहते हैं, जान देने वाली ज़ात को नबी का सच्चा जानशीन कहते हैं।