13 अक्टूबर तक हर जिले में तैनात करें अफसर, मुआवजा भी दें
नई दिल्ली: देश में गौ रक्षकों के बढ़ते आतंक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को इसे रोकने का फरमान जारी किया है। गौ रक्षकों की गुंडागर्दी के ख़िलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह राज्य की कानून-व्यवस्था का मामला है, इसलिए राज्य सरकारें ही इसके लिए ज़िम्मेदार हैं।
कोर्ट ने कहा है कि सभी राज्य सरकारें 13 अक्टूबर तक हरेक जिले में एक सीनियर पुलिस अफसर की तैनाती करे जो गौ हत्या के नाम पर होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिए काम करे और उससे जुड़े सभी मामलों की देखरेख करे। कोर्ट ने राज्य सरकारों से गौहत्या के आरोप में मारे गए या मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी व्यवस्था करने को कहा है।
कोर्ट ने तथाकथित गौरक्षक समूहों द्वारा हिंसा करने और अपने हाथ में कानून लेने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए इस महीने की शुरुआत में ही इस पर रोकथाम के उपाय करने को कहा था। साथ ही नोडल अफसरों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि ऐसे समूह प्रशासन के लिए चुनौती न बन सके, इसकी ठोस व्यवस्था की जाय। इसके लिए राज्य सरकारों को अदालत ने एक हफ्ते का वक्त दिया था। मामले पर अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
बता दें कि पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते कथित गौरक्षकों के तांडव पर रोक लगाने के लिए राज्यों को आदेश दिया था कि हर जिले में टास्क फोर्स का गठन किया जाए।
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