नई दिल्ली: रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया है. इस मामले पर अब 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी. केंद्र ने कहा है कि कोर्ट को इस मुद्दे को सरकार पर छोड़ देना चाहिए और देशहित में सरकार को नीतिगत फैसले लेने दिया जाए. कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए, क्योंकि याचिका में जो विषय दिया गया है, उससे भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर विपरीत पर असर पड़ेगा. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. सरकार ने कहा कि कुछ रोहिंग्या देशविरोधी और अवैध गतिविधियों में शामिल हैं, जैसे हुंडी, हवाला चैनल के जरिये पैसों का लेनदेन, रोहिंग्याओं के लिए फर्जी भारतीय पहचान संबंधी दस्तावेज़ हासिल करना और मानव तस्करी आदि. सरकार ने कहा कि कई रोहिंग्या अवैध नेटवर्क के जरिये भारत में घुस आते हैं और पैन कार्ड और वोटर कार्ड हासिल कर लेते हैं.

हलफनामे में कहा गया कि केंद्र सरकार ने यह भी पाया है पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन ISIS तथा अन्य आतंकी ग्रुप बहुत सारे रोहिंग्याओं को भारत के संवेदनशील इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की साजिश में शामिल किए हुए है. कुछ आतंकवादी पृष्ठभूमि वाले रोहिंग्याओं की जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में पहचान की गई है. ये देश की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या को यहां रहने की इजाजत दी गई, तो यहां रहने वाले बौद्धों के खिलाफ हिंसा होने की पूरी संभावना है.

सरकार ने कहा कि भारत में आबादी ज्यादा है और सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक ढांचा जटिल है. ऐसे में अवैध रूप से आए हुए रोहिंग्याओं को देश में उपलब्ध संसाधनों में से सुविधायें देने से देश के नागरिकों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.