नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) एक बार फिर एक बड़ी छलांग की कोशिश की जो नाकामयाब रही. इस बार एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च किया गया जिसे पूरी तरह से देश के निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया था. इसरो का यह प्रयास विफल रहा. इसरो ने इस बार 41वां सैटेलाइट भेजने की तैयारी की थी, लेकिन यह विफल रही. बताया जा रहा है कि सैटेलाइट से हीटशील्ड अलग नहीं हुई और पीएसएलवी का लॉन्य बेकार गया. बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने 'नाविक' श्रृंखला का एक उपग्रह बनाया है. जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी.

बीते तीन दशकों में इसरो के लिए यह पहला मौका है जब उसने नेविगशन सैटेलाइट बनाने का मौका निजी क्षेत्र को दिया गया. इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने बताया कि हमने सैटेलाइट जोड़ने में निजी संस्थानों की मदद ली है.

इसके लिए रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले बेंगलुरु के अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी को पहला मौका मिला. 70 इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत के बाद इस सैटेलाइट को तैयार किया.