लखनऊः राजभवन के गांधी सभागार में आज वीर बहादुर सिंह पूर्वांच्ल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के सम्मान में खिलाड़ी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। राज्यपाल ने समारोह में 50 खिलाड़ियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल की प्रमुख सचिव सुश्री जूथिका पाटणकर, वीर बहादुर सिंह पूर्वांच्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डाॅ0 राजाराम यादव, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति डाॅ0 पृथ्वीश नाग सहित अन्य अधिकारीगण एवं शिक्षकगण उपस्थित थे। खेल प्रतियोगिता में खिलाड़िया ने हाॅकी, वालीबाल, बैडमिण्टन, बास्केटबाल, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, भारोत्तोलन, बुशू, तैराकी, कुश्ती, ताईक्वाण्डो आदि खेलों में पुरूष एवं महिला वर्ग में प्रतिभाग किया था।

राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन हाॅकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द के नाम पर आयोजित किया जाता है। मेजर ध्यानचन्द ने सफलातापूर्वक तीन बार ओलिम्पक्स में हाॅकी के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। युवा खिलाड़ी उनकी तरह पराक्रम प्राप्त करने का संकल्प करें। छात्र-छात्रायें क्रीडा के क्षेत्र में अधिक सफलता पाने के लिए विचार करें। उन्होंने कहा कि शिक्षक भी इस बात पर विचार करें कि युवाओं को हर क्षेत्र में कैसे आगे लाया जाए।

श्री नाईक ने सुझाव दिया कि वे 29 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति है, इस दृष्टि से सभी राज्य विश्वविद्यालय के खेल पदक पाने वाले छात्रों का सम्मान समारोह संयुक्त रूप से राजभवन में किया जाए। कुलपति वीर बहादुर सिंह पूर्वांच्ल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी सभी विश्वविद्यालयों से समन्वय करके इस कार्यक्रम की रूपरेखा तय करें। उन्होंने कहा कि खेल की गुणवत्ता तथा प्रतिभागियों की संख्या दोनों को बढ़ाने की आवश्यकता है।

राज्यपाल ने कहा कि वैसे तो राजभवन में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं जैसे पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह, संगीत और नाटक से जुड़े कार्यक्रम लेकिन क्रीडा के क्षेत्र से जुड़ा खिलाड़ियों का एकमेव सम्मान समारोह पूर्व में केवल जौनपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से विश्वविद्यालयों को नई दिशा मिल सकती है।

श्री नाईक ने कहा कि 2025 तक भारत विश्व का सबसे युवा देश होगा। युवाओं को उचित मार्गदर्शन की जरूरत है। भावी भारत के निर्माण में युवाओं को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। राज्यपाल ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि परिश्रम करते हैं तो पुरस्कार भी प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार के लिए प्रेरित करने वाले शिक्षकों की भी अहम भूमिका होती है।