रुदौली: न्यायालय द्वारा एक बैठक में तीन तलाक़ पर फैसला आया है उसने पर्सनल लॉ पर छिड़ी बहस पर विराम लगा दिया है क्योंकि न्यायालय ने माना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ संविधान के अनुच्छेद 25 से संरक्षित है और इससे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती जो कि मुसलमानों की बड़ी जीत है यह बयान आल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य शाह अम्मार अहमद अहमदी उर्फ नय्यर मियां ने पत्रकारों से कही उन्होंने कहा कि बोर्ड कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है और स्वागत भी ।

उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार जो यह कहता है कि" लोक व्यवस्था , सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधो के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म के अबाध्य रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक है" के अनुसार मुस्लिम पर्सनल लॉ को संरक्षण प्राप्त है और न्यायालय ने अपने फैसले में इसको स्पष्ट कर दिया है जो स्वागत योग्य है अब इस बहस का कोई औचित्य नहीं है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में कोई छेड़छाड़ संभव है या होने जा रही है ।

हज़रत के अनुसार देश का मुसलमान भारत के संविधान में और न्याय प्रणाली में पूरा भरोसा रखता है उन्होंने एक ही बैठक में तीन तलाक़ को हराम बताते हुए कहा कि हम इसे बुरा हमेशा से मानते आये है लेकिन क्या जिस चीज को बुरा कहा जाता है अगर कोई उस काम को करता है तो उसका असर नहीं होगा जरूर होगा बस इतनी सी बात समझने योग्य है ।

उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश को पढ़ने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कोई नया कानून बनाने का आदेश नहीं है क्योंकि संविधान पीठ के 3 जजो ने इस बात को नहीं माना है,लेकिन मुस्लिम समाज को भी अब अपने अंदर फैल रही बुराई को रोकने के लिए कमर कसनी होगी इसके लिए आल इंडिया उल्मा मशायख बोर्ड समाजी बेदारी मुहिम चलाएगा।